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देहरादून: एक बड़ा सियासी दांव खेलते हुए बीजेपी ने मुख्यमंत्री के पद पर एक युवा चेहरे को राज्य की कमान दी है. पुष्कर सिंह धामी मार्च महीने में हुए सत्ता परिवर्तन के दौरान भी चर्चा में थे, लेकिन पार्टी ने तीरथ सिंह को कमान सौंपी. लेकिन अब धामी को कमान देकर बीजेपी ने बड़ा संदेश देते हुए विपक्षी दलों के सियासी गणित को भी बिगाड़ दिया है. खटीमा से दो बार के बीजेपी विधायक पुष्कर सिंह धामी का जन्म पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ था. लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट और इंडस्ट्रियल रिलेशंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.
पुष्कर सिंह धामी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति में कदम रखा और एबीवीपी में विभिन्न पदों पर रहे. लखनऊ में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन के संयोजक होने की उपलब्धि उनके खाते में दर्ज है. पुष्कर सिंह धामी एबीवीपी के यूपी प्रदेश महासचिव भी रहे. 2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद वह सीएम भगत सिंह कोश्यरी के ओएसडी रहे. 2002 से 2008 तक दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे.
युवाओं के लिए उठाई थी आवाज
बेरोजगारी के साथ ही विकास के मुद्दों को लेकर वह प्रखर रहे हैं. पुष्कर सिंह धामी तब चर्चा में आए थे जब 2002 से 2008 के बीच उन्होंने पूरे प्रदेश में भ्रमण कर अनेक बेरोजगार युवाओं को संगठित कर विशाल रैलियां की थीं. तत्कालीन सरकार से राज्य के उद्योगों में युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण दिलाने की घोषणा कराना उनकी बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में धामी को खटीमा से टिकट दिया गया और वह विधायक बने और उसके बाद फिर 2017 में विधायक बने. अगले साल चुनाव को देखते हुए युवाओं के बीच अच्छी पैठ वाले नेता को सीएम पद की जिम्मेदारी देने का यही अहम कारण माना जा रहा है.
दरअसल, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने के बाद से कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत काफ़ी हमलावर थे. हरीश रावत ने ‘देवभूमि में बीजेपी का कुर्सी बदल खेल’ करार देकर बीजेपी की कड़ी आलोचना की. इसके साथ ही हाल में आम आदमी पार्टी ने गंगोत्री से मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को उप चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी. पार्टी ने कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल को अपना प्रत्याशी भी घोषित किया. ऐसे में अगर बीजेपी एक बार फिर किसी बुजुर्ग नेता को आगे बढ़ाती तो त्रिवेंद्र के बाद तीरथ को हटाने को लेकर विपक्ष को जवाब नहीं दे पाती. इसीलिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की काट के तौर पर एक युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गयी.
शुक्रवार को शाम होते-होते जैसे ही सीएम तीरथ के इस्तीफे की चर्चाएं तेज हुईं तो सोशल मीडिया पर भी तमाम तरह के मीम्स बनने शुरू हो गए. कोई कह रहा था कि 70 में से 57 सीटों वाली भाजपा सरकार, लेकिन स्थायी सरकार के सवाल पर खामोश रहो. सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग बीजेपी के इस फ़ैसले की आलोचना करने लगे. तीरथ सिंह रावत का जींस वाला बयान फिर सुर्खियों में आ गया. उनके इस बयान से जोड़ते हुए भी सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट साझा की गईं.
काफी समय से यह कहा जा रहा था कि बीजेपी कुमाऊं की उपेक्षा कर रही है. पार्टी को भी कुमाऊं से ऐसे चेहरे की तलाश थी, जिसे कुमाऊं के सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे हरीश रावत के सामने खड़ा किया जा सके. ऐसे में राजपूत समुदाय से आने वाले धामी फिट बैठते हैं. इसके साथ ही युवाओं को एक बड़ा संदेश दिया गया है. धामी महज 45 साल के हैं, उनके सीएम बनने के बाद पार्टी में युवा चेहरों को आगे करने का संदेश गया है.