- घूंघट ओढ़े, चूड़ा पहने ससुराल के बाहर धरने पर बैठी नवविवाहिता, जानें क्या है माजरा - November 3, 2024
- चलती कार में लगी आग, पिता और दो बेटियों की मौत, दीवाली मनाकर घर लौट रहा था परिवार - November 3, 2024
- भाई दूज पर रिश्तों का कत्ल, मिठाई-कपड़े संग खून का सामान लेकर पहुंचा भाई..और फिर - November 3, 2024
इंसान का जन्म नौ महीने तक माता के गर्भ में रहने के बाद होता है। और ठीक इसी तरह मृत्यु आने से नौ महीने पहले ही कुछ ऐसी घटनाएं होने लगती हैं जो इस बात का संकेत देती हैं। वहीं यह संकेत इतने सूक्ष्म होते हैं कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उन पर ध्यान ही नहीं देते और जब मृत्यु एकदम करीब आ जाती है तो पता लगता है कि अब देर हो चुकी है। कई काम अधूरे रह गए हैं।
मिलने लगते है ऐसे संकेत:
योगी, मुनि और पुराणों की मानें तो मृत्यु का समय करीब आने पर सबसे पहले नाभि चक्र में गतिविधियां शुरु हो जाती हैं। नाभि चक्र यानी की मणिपुर ध्यान चक्र टूटने लगता है।
नाभि शरीर का केन्द्र स्थान होता है जहां से जन्मकाल में शरीर की रचना शुरू होती है। इसी स्थान से प्राण शरीर से अलग होना शुरू करता है, इसलिए मौत के करीब आने की पहली आहट को नाभि चक्र के पास महसूस किया जा सकता है।
इन ग्रथों में जो सबसे प्रमुख लक्षण बताया गया है उसके मुताबिक मृत्यु के समीप आने पर व्यक्ति को अपनी नाक दिखाई देना बंद हो जाती है।
इसके अलावा जन्म के साथ हर व्यक्ति अपनी हथेली में कई रेखाएं लेकर आता है। हस्तरेखा के जानकर कहते हैं कि यह ब्रह्मा का लेख होता है जिसमें व्यक्ति की सांसें यानी वह कितने दिन जीवित रहेगा यह लिखा होता है।