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Financial Burden On Government: मध्यप्रदेश में लोगों ने अगली सरकार के चुनाव के लिए मतदान हो गया है. आगामी 3 दिसंबर को चुनाव आयोग द्वारा 5 राज्यों के नतीजे घोषित किए जाएंगे. मध्यप्रदेश में वर्तमान सरकार द्वारा भारत सरकार और RBI से कर्ज लिया गया है जिसका बोझ यहां कि जनता पर ही पड़ेगा. सरकार किसी की भी बने आर्थिक समस्या एक बड़ी चुनौती रहेगी.
आगामी सरकार की चुनौती
मध्यप्रदेश में वित्तीय प्रबंधन नई सरकार की सबसे बड़ी चुनौती रहने वाली है. यहां किसी की भी सरकार बने प्रदेश पर लगभग 3.85 करोड़ के कर्ज का अनुमान लगाया गया है. हर साल सरकार 20 हजार करोड़ से अधिक रुपये ब्याज के रूप में भर रही है. वर्तमान बजट के हिसाब से सरकार की आमदनी लगभग 2.25 लाख करोड़ है जबकि खर्च 54 हजार करोड़ से अधिक आंका गया है. नागरिकों पर अभी 40 हजार से ज्यादा का कर्ज है.
वर्तमान सरकार
सरकार ने अपने बजट के हिसाब से देंखे तो आकार से ज्यादा कर्ज के तौर पर ले चुकी है. ऐसे में किसी की भी सरकार बने वित्तीय प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है. दोनों ही पार्टियों ने मुफ्त की रेवड़िया बांटने पर जोर दिया है. सरकार जिसकी भी बने इन घोषणाओं को पूरा करना एक बड़ी चुनौती रहने वाली है. नए वित्तीय वर्ष की शरूआत में ही एमपी पर लगभग 3.32 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था और ये आकाड़ा कर्ज लेने के कारण 4 लाख करोड़ के तक जा चुका है.
वर्तमान सरकार द्वारा लिया गया कर्ज
-25 जनवरी 2023 को 2000 करोड़
-02 फरवरी 2023 को 3000 करोड़
-09 फरवरी 2023 को 3000 करोड़
-16 फरवरी 2023 को 3000 करोड़
-23 फरवरी 2023 को 3000 करोड़
-02 मार्च 2023 को 3000 करोड़
-09 मार्च 2023 को 2000 करोड़
-17 मार्च 2023 को 4000 करोड़
-24 मार्च 2023 को 1000 करोड़
-29 मई 2023 को 2000 करोड़
-14 जून 2023 को 4000 करोड़
-12 सितंबर 2023 को 1000 करोड़
-21 सितंबर 2023 को 500 करोड़ का कर्ज
-26 सितंबर को एक ही दिन में तीन बार अलग-अलग टेन्योर पर 5000 करोड़ का कर्ज लिया
-3 अक्टूबर को सरकार ने 1000 करोड़ का कर्ज लिया
-23 अक्टूबर को 1 हजार करोड़ का कर्ज लिया
-31 अक्टूबर को 2000 करोड़ का कर्ज
3 दिसंबर को आगामी सरकार का चयन हो जाएगा. देखना होगा कि आने वाली सरकार इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और इन समस्याओं का समाधान क्या निकालती है.