उत्तराखंड में कांग्रेस के CM चेहरे पर खत्म होगी तकरार, हाईकमान ने…

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नई दिल्ली: उत्तराखंड में अगले साल शुरू में ही विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर युवा नेतृत्व और 60 प्लस सीटें जीतने के नारे के साथ 2022 में उतरने के संकेत दिए हैं. वहीं, कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच उलझी हुई है. उत्तराखंड नेताओं के साथ कांग्रेस हाईकमान ने दो दिनों तक मंथन कर पार्टी के सियासी हालात को सामान्य करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सूबे के जातीय समीकरण के चलते फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड में एक और सियासी पारी खेलने की जुगत में है. ऐसे में रावत की मंशा है कि कांग्रेस राज्य में मुख्यमंत्री चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरे जबकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनावी जंग में उतरने की तरफदारी कर रहे हैं.

हरीश रावत और प्रीतम गुट आमने-सामने

राज्य में विपक्ष की नेता रहीं इंदिरा हृदयेश भी इस मामले में प्रीतम सिंह के साथ थीं, लेकिन अब उनके निधन के बाद हरीश रावत गुट खुलकर मुख्यमंत्री पद के चेहरे की मांग करने लगा है. हरीश रावत उम्र के ऐसे पढ़ाव पर हैं, जिन्हें बीजेपी के पुष्कर धामी के सामने उतारने के लेकर प्रीतम सिंह का गुट राजी नहीं है.

वहीं, हरीश रावत गुट ने कांग्रेस आलाकमान के सामने फॉर्मूला रखा है कि प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर खाली हो चुकी नेता विपक्ष की कुर्सी पर बैठा दिया जाए और प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी ब्राह्मण चेहरे को सौंपी जाए ताकि ठाकुर और ब्राह्मण का समीकरण बना रहे. इंदिरा हृदेश ब्राह्मण थी जबकि प्रीतम सिंह ठाकुर समुदाय से हैं. रावत गुट इसी समीकरण के तहत अपनी मांग कर रहा है.

कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत और प्रीतम सिंह के समर्थकों को दिल्ली में बुलाकर सोमवार और मंगलवार दो दिनों तक मंथन किया. माना जा रहा है कि उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्त से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक में कांग्रेस जल्द ही बदलाव कर सकती है. उत्तराखंड के कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने बताया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से तमाम मुद्दों पर बातचीत हुई है और पार्टी जल्द ही विपक्ष के नेता और प्रदेश अध्यक्ष पर नियुक्ति के मामले में फैसला लेगी.

प्रदेश अध्यक्ष के लिए कांग्रेस में लॉबिंग
उत्तराखंड कांग्रेस सूत्रों की मानें तो प्रीतम सिंह प्रदेश संगठन की कमान अपने करीबी युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भुवन कापड़ी को इस पद पर देखना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए यही शर्त भी रखी है कि उनके करीबी शख़्स को संगठन की कमान सौंपी जाएगी. कापड़ी ब्राह्मण समुदाय से भी आते हैं और मौजूदा समय में प्रदेश महामंत्री हैं. वहीं, हरीश रावत ब्राह्मण समाज से आने वाले पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर देखना चाहते हैं. गोदियाल उनके करीबी माने जाते हैं.

जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की चुनौती
उत्तराखंड की सियासत जातीय संतुलन के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन भी बनाना जरूरी है. जातीय संतुलन से मतलब राज्य की दो प्रमुख जातियों ब्राह्मण और ठाकुर से है. इन्हीं दोनों जातियों के इर्द-गिर्द राज्य की सियासत सिमटी हुई है. वहीं, क्षेत्रीय संतुलन का मतलब कुमाऊं और गढ़वाल के बीच प्रतिनिधित्व का सियासी बैलेंस बनाने का है. प्रीतम सिंह गढ़वाल से आते हैं और ठाकुर जाति से हैं, उन्हें अगर नेता विपक्ष बनाया जाता है तो ऐसे में लाजिमी तौर पर प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी ब्राह्मण के साथ-साथ कुमाऊं के किसी नेता को मिल सकती है.

गणेश गोदियाल ब्राह्मण हैं लेकिन वह गढ़वाल से आते हैं जबकि भुवन कापड़ी ब्राह्मण है पर कुमाऊं से हैं. ऐसे में प्रीतम सिंह के नेता विपक्ष बनने की सूरत में पार्टी गढ़वाल मंडल से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर चुनाव में जोखिम नहीं उठाना चाहेगी. ऐसे में हरीश रावत को अपने करीबी नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाना आसान नहीं होगा. सूत्रों की मानें तो कुमाऊ से प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण समुदाय का बनाकर हरीश रावत को चुनाव कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इस तरह से कांग्रेस दोनों गुटों के बीच संतुलना बनाने की कवायद में है.

पुष्कर धामी के सामने कांग्रेस से कौन?

बीजेपी ने हाल ही में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुष्कर धामी को बैठाया है, जिन्हें युवा चेहरे के तौर पर पार्टी पेश कर रही है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के सामने मुश्किल स्थिति यह भी है हरीश रावत की उम्र 73 साल है. 2017 में जब हरीश रावत के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा था तो पार्टी को महज 11 सीटों पर ही जीत मिली थी. ऐसे में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व हरीश रावत के चेहरे पर दांव लगाने से पहले फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. अब देखना है कि कांग्रेस में चेहरे का रार कब खत्म होता है.