उत्तराखंड मौसम अपडेट: अगले दो दिनों तक ऐसा रहेगा मौसम, यहां देखे

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देहरादून: दो दिनों तक पहाड़ से लेकर मैदान तक झमाझम बारिश के बाद बुधवार को मौसम का मिजाज एक बार फिर बदल गया। हालांकि गुरुवार सुबह से अधिकतर इलाकों में धूप खिली रही।, लेकिन दोपहर बाद बादल छा गए और हल्की बारिश शुरू हो गई।

इससे पहले राजधानी दून व आसपास के इलाकों में बुधवार को दिनभर रिमझिम बारिश हुई। इससे मौसम काफी सुहाना हो गया।  बुधवार को दून के आसमान में दिनभर काले घने बादल छाए रहने से झमाझम बारिश की उम्मीद थी, लेकिन कई इलाकों में सिर्फ हल्की बूंदाबांदी हुई। वहीं कई इलाकों में कई घंटे तक रिमझिम बारिश होती रही। इससे मौसम का मिजाज ठंडा होने के साथ सुहावना हो गया। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद भी बाढ़ राहत चौकियों पर तैनात कर्मचारियों की नींद नहीं टूट रही है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी के औचक निरीक्षण में क्षेत्र की दोनों बाढ़ राहत चौकियों के कर्मचारी नदारद मिले। उन्होंने कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेज दी है। 

मौसम विभाग की ओर से 18 जुलाई तक उत्तराखंड और जनपद में बारिश की चेतावनी दी गई है। पहाड़ों पर बारिश होने से गंगा का जलस्तर पर बढ़ जाता है। जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे बसे गांवों में बाढ़ की आशंका बनी रहती है। इसको देखते हुए श्यामपुर और गैंडीखाता में बाढ़ राहत चौकियां बनाई गई हैं ताकि लोगों को बाढ़ राहत चौकी पर तैनात कर्मचारी किसी भी आपदा से बचा सकें। सोमवार को बाढ़ राहत चौकियों का निरीक्षण करने पहुंची जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा कैंतुरा को श्यामपुर और गैंडीखाता बाढ़ राहत चौकी पर एक भी कर्मचारी तैनात नहीं मिला, जबकि बाढ़ राहत चौकियों पर बाढ़ सुरक्षा उपकरण अव्यस्थित ढंग से पड़े हुए मिले।

बाद में पता चला कि पुलिस कर्मी गंगा का जलस्तर देखने के लिए गए हैं, लेकिन अन्य कर्मचारी बाढ़ राहत चौकियों पर ड्यूटी करने ही नहीं आए। मीरा कैंतुरा ने बताया कि उन्होंने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट उपजिलाधिकारी अंशुल सिंह और अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा को भेज दी है। 

मानसून के बाद प्रदेश में चलेगा सड़कों के गड्ढे भरने का अभियान
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने कहा कि मानसून के बाद प्रदेशभर में सड़कों के गड्ढे भरने और डामरीकरण का अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने लोक निर्माण विभाग और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के कार्यों की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए।

मुख्य सचिव संधू ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी निर्माण कार्य निर्धारित समय सीमा के अंदर पूर्ण कर लिए जाएं। उन्होंने सभी कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के भी निर्देश दिए। कहा कि कार्यों में गति एवं गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रोजेक्ट्स की लगातार मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। नई सड़कों के निर्माण के साथ ही पुरानी सड़कों के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।

उन्होंने गड्ढा मुक्त सड़कों के लिए भी विशेष प्रयास किए जाने के निर्देश दिए। मानसून सीजन के बाद सड़कों को गड्ढा मुक्त करने, नए डामरीकरण पर भी फोकस करना होगा। उन्होंने एनएचएआई द्वारा विभिन्न सड़कों के निर्माण में भी तेजी लाने के निर्देश दिए। एनएचएआई द्वारा कराए जा रहे कार्यों की समीक्षा के लिए हर महीने मुख्य सचिव स्तर पर मीटिंग कराने के भी निर्देश दिए। 

प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि चारधाम परियोजना के तहत कुल 670.41 किमी सड़क का निर्माण किया जाना है। उन्होंने कहा कि लोनिवि द्वारा 341.38 किमी (92 प्रतिशत), पीआईयू मोर्थ द्वारा 21.43 किमी (100 प्रतिशत), बीआरओ द्वारा 116.13 किमी (76 प्रतिशत) एवं एनएचआईडीसीएल 83.61 किमी (81 प्रतिशत) कुल 562.55 किमी (84 प्रतिशत) सड़क का निर्माण किया जा चुका है। मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) पर सभी कार्यों की समीक्षा की जाती है। सभी सड़कों एवं पुलों की जीआईएस डाटा सहित विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसमें फॉरेस्ट प्रपोजल एवं बैंक गारंटी की वैलिडिटी जैसे गंभीर मुद्दों पर संबंधित अधिकारी को ऑटो एलर्ट करने जैसे काम शामिल हैं।