भारत के विदेश मंत्री की रूस को दो टूक, बोले- हमें न बताए किससे दोस्ती करें, किससे नहीं

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नई दिल्ली: रूस और भारत के ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. हालांकि, बदलती वैश्विक परिस्थितियों में जहां रूस और पाकिस्तान की दूरियां कम हो रही हैं, वहीं भारत के लिए भी अमेरिका एक अहम साझेदार के तौर पर उभरा है. यहां तक कि कई मामलों में अब रूस और भारत के हित आपस में टकराते नजर आ रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत अमेरिकी नेतृत्व वाले क्वॉड समूह में पहले से ज्यादा सक्रिय हुआ है जबकि रूस ऐसा नहीं चाहता. रूस चीन के साथ मिलकर अमेरिका के वर्चस्व का मुकाबला करना चाहता है. रूस ने एक बयान में यहां तक कह दिया था कि चीन के खिलाफ साजिश में भारत मोहरे की तरह इस्तेमाल हो रहा है.

रूस ने बुधवार को एक बार फिर क्वॉड को लेकर भारत को आगाह किया तो भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी स्पष्ट रूप से अपनी बात कह दी. क्वॉड देशों की भूमिका को लेकर रूस ने कहा था कि इसके जरिये पश्चिमी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शीत युद्ध की मानसिकता को फिर से बहाल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक कहा है कि कोई दूसरा देश यह तय नहीं करेगा कि भारत किस के साथ दोस्ती करे या किसके साथ नहीं. दूसरों को इसकी परवाह करने की जरूरत नहीं.

रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने क्वॉड को लेकर टिप्पणी के कुछ ही घंटे बाद रायसीना डायलॉग में भारत के विदेश मंत्री एस. शंकर ने सार्वजनिक रूप से अपनी राय जाहिर कर दी. इससे यह साफ हो गया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी रणनीति को लेकर भारत और रूस में गहरे मतभेद हैं.

ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका की सदस्यता वाले क्वॉड में भारत भी साझेदार है. क्वॉड देशों ने फ्रांस के साथ मिलकर हाल ही में बंगाल की खाड़ी में युद्धाभ्यास किया. समुद्री क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व के बीच इस युद्धाभ्यास को अहम नजरिये से देखा गया, लेकिन रूस ने क्वॉड को लेकर चिंता जाहिर की है. चीन ने जहां क्वॉड को हिंद प्रशांत क्षेत्र नाटो करार दिया तो रूस ने कहा कि इससे इस क्षेत्र में शीत युद्ध जैसी स्थिति फिर से बढ़ सकती है.

रूसी राजनयिक ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “हम भारत का ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभर रहे पश्चिमी वर्चस्व की तरफ आकर्षित करना चाहते हैं. पश्चिमी देश शीत युद्ध को फिर से शुरू करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.” 1990 के दशक में अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध चला जिसमें इन दोनों देशों के बीच सीधे लड़ाई तो नहीं हुई लेकिन दूसरे देशों के मैदान में तनाव बरकरार रहा.

क्वॉड देशों के रिश्तों को रूस की तरफ से शीत युद्ध से तुलना किये जाने को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खारिज कर दिया. जयशंकर ने कहा कि हिंदू-प्रशांत ऐतिहासिक, निर्बाध भौगोलिक इकाई का प्रतिनिधित्व करता है जो अफ्रीका से लेकर अमेरिका के तट तक फैला हुआ है.

ऑस्ट्रेलियाई और फ्रांसीसी विदेश मंत्री मारिज पायने और जीन येव्स ले ड्रियन के साथ एक पैनल में बातचीत के दौरान एस जयशंकर ने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र अपने इतिहास की तरफ लौट रहा है. ये अभी की दुनिया का ज्यादा बेहतर तरीके से प्रतिनिधित्व करता है. वास्तव में ये शीत युद्ध की मानसिकता से निकलने की कोशिश है, ना कि इसे दोबारा लागू करने जैसा है.’

एस. जयशंकर ने यह भी कहा कि कोई भी अन्य देश भारत की किसी अन्य देश से दोस्ती पर “वीटो” नहीं कर सकता है, और एशियाई नाटो जैसे शब्दों को “माइंड गेम” कहा जा सकता है जो अन्य देशों द्वारा खेला जा रहा है. उन्होंने कहा कि, “इस तरह की नाटो मानसिकता भारत में कभी नहीं रही है, अगर यह एशिया में है, तो यह किसी और देश में होगी.” दरअसल, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 6 अप्रैल को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में एशिया में उभरती नई साझेदारियों को लेकर ‘एशियन नाटो’ टर्म का इस्तेमाल किया था.

एस. जयशंकर ने कहा, हिंद-प्रशांत एक स्पष्ट संदेश है कि भारत मलक्का की खाड़ी और एडेन की खाड़ी तक सीमित नहीं रहेगा, हमारे हित, हमारा प्रभाव और हमारी गतिविधियां हर दिशा में आगे बढ़ेंगी. उन्होंने कहा, जब हम एक बड़े कैनवास पर देखते हैं तो ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस इसका हिस्सा हैं. कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिन पर हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं. जयशंकर ने कहा कि क्वॉड में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका का आने का मकसद किसी देश को निशाना बनाना नहीं है.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया था जिसे लेकर भी भारत और रूस के रिश्ते को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे थे. हालांकि, भारत में रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबूशकिन ने दोनों देशों के बीच तनाव की अटकलों को खारिज कर दिया था. रोमन बाबूशकिन ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की पाकिस्तान यात्रा करने और उसे सैन्य औजार मुहैया कराने के बीच कहा था कि रूस का पाकिस्तान के साथ रिश्ते सहयोग सीमित है. भारत रूस का पुराना दोस्त है और पाकिस्तान की तुलना में भारत-रूस के संबंधों का दायरा बड़ा है.

निकोले कुदाशेव और मिशन के डिप्टी चीफ रोमन बाबूशकिन ने कहा था कि रूस के भारत और पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र संबंध हैं, और इस्लामाबाद के साथ मास्को का सैन्य सहयोग आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए उपकरणों की आपूर्ति तक सीमित है. रोमन बाबूशकिन ने कहा, ‘जहां तक पाकिस्तान का संबंध है, रूस और भारत के बीच मतभेद या गलतफहमी का कोई कारण नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ हमारे स्वतंत्र संबंध हैं, जबकि दोनों के संबंध उनकी अपनी-अपनी अहमियत के आधार पर तय होते हैं.