2 दिन की बच्ची को डॉक्टरों ने घोषित किया मृत, अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे चलने लगी सांसें

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भिवानी. बहुत पुरानी कहावत है कि जाको राखे साइयां, मार सके न कोई. ये कहावत भिवानी (Bhiwani) में नवजात बच्ची पर सटीक बैठी है. क्योंकि तीन जिलों के 8 निजी अस्पतालों (Private Hospitals) द्वारा जवाब देने के बावजूद भिवानी के सरकारी अस्पताल में इस मासूम को नया जीवन (New Life) मिला है. ज़बकि परिजन इस मासूम को मिट्टी देने की सोच रहे थे. पर एक धड़कन के बाद डॉक्टरों की मेहनत व परिजनों की दुआओं से नवजात को नया जीवन मिला है.

बता दें कि महेन्द्रगढ ज़िला के झांडली गाँव निवासी बलराम शर्मा की पत्नी ने महेन्द्रगढ के निजी अस्पताल में 12 जनवरी की अल सुबह एक बच्ची को जन्म दिया. नवजात बच्ची की अगले दिन ज़्यादा तबियत बिगड़ गई. वहां 4-5 अस्पतालों में नवजात को गंभीर बताया. जिसके बाद इस नवजात बच्ची को भिवानी जानकारों के माध्यम से दो-तीन अस्पतालों में चेक करवाया पर यहां से भी हिसार रेफर कर दिया. वहां भी अगले दिन चिकित्सकों ने जवाब दे दिया.

परिजन दो दिन की नवजात को मरा हुआ मान कर मिट्टी देने गांव की तरफ़ चल पड़े. कुछ देर बाद ही बच्ची की एक धड़कन ने परिजनों के उम्मीद की नई किरण दिखी. आनन फानन में भिवानी के नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां चिकित्सकों की मेहनत व परिजनों की दुआ के बाद नवजात को नया जीवन मिला.

16 दिन बाद दवा व दुआ के चलते नवजात बच्ची बिल्कुल ठीक हो गई. इस खुशी में बच्ची के साथ परिजनों को भी नया जीवन मिला. इस ख़ुशी में परिजनों ने चिकित्सकों का फूल मालाओं से सम्मान किया और मासूम को थाली बजाते हुये ख़ुशी ख़ुशी घर लेकर गए.

नवजात बच्ची के दादा अशोक भारद्वाज ने बताया कि वो तीन जिलों के 7-8 अस्पतालों में इस बच्ची को इलाज के लिए लेकर गए, लेकिन सभी ने जवाब दे दिया. जब वो इसे मिट्टी देने हिसार से गांव की तरफ़ चले तो बीच में नवजात की एक धड़कन ने नई किरण जगाई और भिवानी के नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां डॉक्टरों की मेहनत व परिजनों की दुआ से बच्ची आज ठीक हो चुकी है.