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नई दिल्ली: इजरायल-हमास युद्ध के बीच करीब एक हजार नाव बुधवार को तुर्की से गाजा की ओर रवाना होंगे। इन नावों पर 40 देशों के करीब 4500 लोग सवार हैं, जो इजरायली नाकाबंदी तोड़ने और इजरायल के समुद्री व्यापार को बाधित करने की कोशिश करेंगे। एक दशक पहले भी इसी तरह की एक कोशिश हुई थी, जिसे इजरायल ने नाकाम कर दिया था। नई कोशिश उसी की पुनरावृति है। इस मुहिम को ‘फ्रीडम फ्लोटिला’ नाम दिया गया है।
तुर्की समाचार वेबसाइट हेबर7 को दिए एक इंटरव्यू में इसके आयोजकों में से एक, वोल्कन ओकू ने संकेत दिया कि करीब 1000 नौकाओं में 40 देशों के 4,500 लोग होंगे, जिनमें ‘इजरायल विरोधी यहूदी’ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 1,000 नौकाओं में 313 नावें रूसी कार्यकर्ताओं से भरी होंगी और 104 स्पेनिश कार्यकर्ताओं से भरी होंगी। उन्होंने बताया कि केवल 12 तुर्की जहाज़ फ़्लोटिला में शामिल होंगे।
हालाँकि, ओकू ने बाद के एक ट्वीट में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तुर्की के नौकाओं की संख्या और अधिक होगी और वह कम से कम 1,000 तक हो सकती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पहल तुर्की सरकार से जुड़ी नहीं है। ओकू ने संकेत दिया कि फ्लोटिला गुरुवार को तुर्की तटों को छोड़ देगा और यह समुद्री काफिला इजरायली बंदरगाह अशदोद की ओर बढ़ने से पहले साइप्रस में पहला पड़ाव बनाएगा। बकौल ओकू फ़्लोटिला में कुछ प्रतिभागी कथित तौर पर अपने जीवनसाथी और बच्चों को भी ले जाएंगे।
फ्रीडम फ्लोटिला का मकसद
ओकू ने कहा कि ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य इजरायली तट से अशदोद बंदरगाह की ओर जाने वाले समुद्री व्यापार के अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग में व्यवधान पैदा करना होगा, ताकि इजरायल को माल की आपूर्ति एक सप्ताह या यहां तक कि 10 दिनों तक बाधित हो सके। विरोध की यह कार्रवाई मई 2010 में इसी तरह की “गाजा फ्रीडम फ्लोटिला” के प्रयास की याद दिलाती है, जिसने हमास-नियंत्रित गाजा पट्टी पर समुद्री नाकाबंदी को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन इजरायली नौसेना ने उसे रोक दिया था।
13 साल पहले क्या हुआ था?
13 साल पहले जब इसी तरह के काफिले को इजरायली नौसेना ने अशदोद बंदरगाह की तरफ जाने से रोक दिया था, तब काफिले के लोग इजरायली नौसेना के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए इजरायली कमांडो के जहाजों में से एक, मावी मरमारा पर चढ़ गए थे, जिसमें 600 से अधिक यात्री सवार थे। उस शिप पर हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें इजरायली कमांडो की गोलीबारी में तुर्की के 10 कार्यकर्ता मारे गए थे और 10 इजरायली सैनिक घायल हो गए थे। मावी मरमारा की घटना के बाद कई बार फ्लोटिला का प्रयास किया गया, लेकिन इजरायली सैन्य और राजनयिक गतिविधियों ने हर बार उसे नाकाम कर दिया गया।
मुहिम में अमेरिका, ब्रिटेन और रूस भी शामिल
तुर्की कार्यकर्ता ने कहा कि इस मुहिम में अमेरिका, ब्रिटेन, लक्ज़मबर्ग, रूसी, जर्मनी, स्पेन, पोलैंड और कई अन्य देशों की नौकाएं भी शामिल होंगी और उन पर इन देशों के झंडे लगे होंगे। कार्यकर्ता ने कहा कि लक्जरी नावें भी फ्लोटिला में शामिल होंगी और यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिभागी इसमें शामिल होने के लिए औसतन 14,000 डॉलर खर्च करेंगे।
ओकू ने दोहराया कि फ्लोटिला के प्रदर्शनकारी “अंतर्राष्ट्रीय नियमों का सख्ती से पालन करेंगे” और कोई हथियार नहीं रखेंगे। यहां तक कि उनके पास ‘जेब चाकू’ भी नहीं होगा। ताकि इज़राइल को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई “बहाना” न मिल सके। ध्यान देने वाली बात है कि अशदोद, इजरायल का छठा सबसे बड़ा शहर और सबसे बड़ा बंदरगाह है, जहां देश का 60% आयातित माल आता है। अशदोद देश के दक्षिणी जिले में भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है, जहाँ यह तेल अवीव से उत्तर 32 किलोमीटर दूर, और अश्कलोन से दक्षिण 20 किमी के बीच स्थित है।
जब व्यवधान पैदा करेंगे तब क्या होगा
तुर्की के कार्यकर्ता ने कहा, “जिस क्षण हम गाजा के करीब अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में प्रवेश करेंगे, उस वक्त इजरायली सेना केवल हमारी तलाशी ले सकती है। या हमें अपने बंदरगाहों की तरफ जबरन जाने को मजबूर कर सकती है और जुर्माना लगा सकती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में किसी काफिले पर छापा मारने की अनुमति उसे नहीं होगी, जिस तरह से उन्होंने 2010 में मावी मरमारा पर हमला किया था।” उन्होंने कहा, “अगर इजरायल ने इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय शांति बेड़े के खिलाफ किसी भी तरह के पागलपन की कार्रवाई के प्रयास किए तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी।”
छह साल तक रहा था गतिरोध
बता दें कि मावी मरमारा घटना के बाद इजराइल और तुर्की के बीच पैदा हुआ राजनयिक संकट छह साल बाद 2016 में जाकर तब हल हो सका था, जब यरूशलेम पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे में 20 मिलियन डॉलर का भुगतान करने और गाजा में तुर्की सहायता की अनुमति देने पर सहमत हुआ था और इसके बदले में, इस्तांबुल इस घटना के लिए किसी भी व्यक्तिगत इजरायली नागरिक को आपराधिक या वित्तीय रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराने पर राजी हुआ था। 2007 में हमास द्वारा तटीय क्षेत्र गाजा पर नियंत्रण करने के तुरंत बाद इजरायल ने वहां नाकाबंदी लगा दी थी। आतंकी समूह को फिर से संगठित होने और बड़ा खतरा बनने से रोकने के लिए मिस्र ने इसे लागू करने में इजरायल का साथ दिया था। नाकाबंदी में विशिष्ट वस्तुओं पर प्रतिबंध और गाजा में दोहरे उपयोग वाली सामग्रियों की डिलीवरी को सीमित करना शामिल रहा है, जिनका उपयोग हमास द्वारा नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता था।