हर साल 59 लाख गधों को मारा जा रहा, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

59 lakh donkeys are being killed every year, you will be surprised to know the reason
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Donkey Killing: कुछ विदेशी एनजीओ और एनिमल एक्टिविस्ट का दावा है कि दुनियाभर में यौन वर्धक दवाओं को बनाने के लिए हर साल लाखों गधों को मौत के घाट उतार दिया जाता है. खासकर एक चीनी दवा की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए गधों की मास किलिंग हो रही है. एक अनुमान के मुताबिक इस काम के लिए सालाना करीब 60 लाख गधों को बेवजह बेरहमी से मार दिया जाता है. रिपोर्ट में ये दावा भी किया गया है कि चीन में गधों की संख्या में भारी कमी आने के बाद उनकी खाल से जुड़ी इंडस्ट्री अब अफ्रीकी देशों में शिफ्ट हो रही है. क्या है पूरा गोरखधंधा? आइए बताते हैं.

किस चीज के लिए बेजुबानों का कत्ल?
इस दवा की बात करें तो चीन में कई दशकों से ये दवा चलन में है. खासकर जब से इसके फायदों का वैश्विक प्रचार प्रसार हुआ तब से इस दवा की ग्लोबल डिमांड बढ़ गई है. इस मेडिसिन को गधों की खाल से मिलने वाले जेलेटिन से बनाया जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जानवरों की खाल की कालाबजारी करने वाले जिस चीज के लिए इन गधों को बड़े पैमाने पर मार देते हैं, उसका नाम एजिआओ (Ejiao) है.

पॉपुलर है इस दवा का फॉर्मुला
चीन में दावा किया जाता है कि ये दवाई एक देसी प्राचीन नुस्खे पर बनी है जो सदियों से इस्तेमाल हो रहा है. माना जाता है कि इस दवा से न सिर्फ शरीर एक्टिव रहता है, बल्कि इसके नियमित सेवन से यौन दुर्बलता दूर होती है.

कैसे बनती है दवा?
जेलेटिन निकालने के लिए गधों की खाल को उबाला जाता है. फिर उससे पाउडर, गोली या फिर तरल दवा बनाई जाती है

ब्रिटिश एनजीओ का दावा
आपको बताते चलें कि बीते करीब एक दशक से गधों की तस्करी में तेजी आई है. पाकिस्तान में गधे लगभग खत्म होने के कगार पर है. बीते 10 सालों से पाकिस्तान ज्यादा कमाई के लालच में चीन को हर साल लाखों गधे भेज रहा है. पाकिस्तान में गधे लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं. इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए ब्रिटेन में डंकी सैंक्चुअरी नाम की संस्था 2017 से इस कारोबार के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है.

भारत का हाल भी जानिए
भारत में इस चीनी दवा की डिमांड और सप्लाई का कोई अधिकृत आंकड़ा मौजूद नहीं है. इसके अलावा ब्रुक इंडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2010 से 2020 के दशक में भारत में गधों की आबादी में 61.2% की भारी कमी आई है.