देश की सबसे प्रदूषित नदियों में 9 उत्तराखंड की, पहाड़ में सबसे गंदी है सुसवा

9 of the most polluted rivers of the country are of Uttarakhand, Suswa is the dirtiest in the mountain
9 of the most polluted rivers of the country are of Uttarakhand, Suswa is the dirtiest in the mountain
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दुनिया की विख्यात नदियों में शुमार गंगा-यमुना के उद्गम वाले उत्तराखंड में नौ नदियां देश की सबसे प्रदूषित नदियों की सूची में शामिल हैं। 2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने का एलान करने वाली प्रदेश सरकार के सामने इन नदियों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने की चुनौती है। राज्य का पेयजल मंत्रालय इन नदियों को नमामि गंगे योजना के तहत स्वच्छ बनाने की योजना पर विचार कर रहा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में जैविक प्रदूषण के संकेतक बाया केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के अनुसार, 323 नदियों पर 357 प्रदूषित नदी खंडों की पहचान की गई। इन प्रदूषित नदी खंडों में उत्तराखंड की नौ नदियां शामिल हैं।

यह है बीओडी
ऑक्सीजन की वह मात्रा जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघटन के लिए आवश्यक होती है, वह बीओडी कहलाती है। जल में यह जितनी अधिक बीओडी की मात्रा होगी, नदी उतनी अधिक प्रदूषित मानी जाएगी।

सुसवा प्रदेश में सबसे अधिक प्रदूषित नदी
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की सुसवा नदी मोथरावाला से रायवाला के बीच सबसे अधिक प्रदूषित है। नदी में प्रतिलीटर मिलीग्राम में बीओडी का स्तर 37 है, जबकि एक प्रदूषण मुक्त नदी के लिए उसमें बीओडी की मात्रा का स्तर प्रतिलीटर एक मिलीग्राम से कम होना चाहिए।

राज्य की नदियां और उसमें बीओडी का स्तर
नदी स्ट्रैच बीओडी की रेंज
सुसवा मोथरावाला से रायवाला 37.0
ढेला काशीपुर से गरुवाला 12-80
भेला काशीपुर से राजपुरा तंदा 6.0 से 76.0
किच्छा किच्छा के साथ 28.0
कल्याणी डीएस पंतनगर 16.0
गंगा हरिद्वार से सुल्तानपुर 6.6
कोसी सुल्तानपुर से पट्टीकलां 6.4
नंदौर सितारगंज के साथ 5.6-8.0
पिलखर रुद्रपुर के पास 10.0

प्रदेश सरकार के सामने नदियों को स्वच्छ रखने की चुनौती
प्रदेश सरकार ने 2025 तक उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प लिया है। इसमें राज्य के विकास से जुड़ी योजनाओं के अलावा पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छता के लक्ष्य भी शामिल हैं। अगले तीन सालों में राज्य की नौ प्रदूषित नदियों को स्वच्छ रखने की चुनौती सरकार को पार करनी है। जानकारों का मानना है कि इसके लिए सरकार को नमामि गंगे योजना के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर नदियों की स्वच्छता की नीति बनानी होगी।

गंगा और उसकी सहायक नदियों को नमामि गंगे योजना के तहत प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास हो रहे हैं। हमने गंगा से जुड़े सभी शहरों में एसटीपी लगाएं हैं। अब हम मोहल्लों और बस्तियों के सीवर के ट्रीटमेंट के लिए जापान की तकनीक का ट्रायल शुरू कर रहे हैं। इनका उपयोग अन्य प्रदूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए किया जाएगा।