नई दिल्ली: राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से एक साल पहले भाजपा की प्रदेश ईकाई पार्टी से अलग हो चुके नेताओं की घर वापसी में लग गई है. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वासपात्र अभी इससे नहीं जुड़ पाए हैं. राजे का राज्य के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ लगातार तकरार चलती रही है.
5 दिसंबर को सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव से पहले यह एक राहत लेकर आया है, जो सीट कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा की अक्टूबर में मृत्यु के बाद से खाली है.
पिछले हफ्ते सतीश पूनिया, भाजपा के राज्य प्रभारी अरुण सिंह और अन्य नेताओं की उपस्थिति में दो कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल कराया गया. राजकुमार रिनवा और जयदीप डूडी बिकानेर क्षेत्र के चुरू जिले से हैं जहां सरदारशहर स्थित है.
इसी साल सितंबर और अगस्त में लक्ष्मीनारायण दवे और विजय बंसल पार्टी में शामिल हुए हैं. साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह ने भी 2018 में बसपा की सीट से चुनाव हारने के बाद पिछले साल भाजपा का दामन थामा.
हालांकि इस बीच पूर्व मंत्री और सात बार के विधायक रह चुके देवी सिंह भाटी के लिए भाजपा के दरवाजे बंद है. बिकानेर क्षेत्र में भाटी की पकड़ मजबूत मानी जाती है. वह पिछले कुछ महीनों से पार्टी में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं.
भाटी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी. उस वक्त पार्टी ने अर्जुन राम मेघवाल (केंद्रीय मंत्री) को टिकट दे दिया था और कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन भी किया था.
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक भाटी का पार्टी में दोबारा शामिल होने के पीछे सबसे बड़ा रोड़ा वसुंधरा राजे से उनकी नजदीकी है, जो कि राज्य इकाई में सतीश पूनिया के साथ लगातार विवादों में हैं वहीं पार्टी हाईकमान भी उनके समर्थन में नहीं है. हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए शुरू हुए अभियान से भी उनकी दूरी इस बात की तस्दीक करती है.
हालांकि भाजपा ने राज्य में पार्टी के भीतर चल रहे विवादों को कम करने के लिए अगले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही अपना चेहरा घोषित किया है. वहीं राजे के समर्थक उन्हें ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए भाटी ने पूनिया पर निशाना साधते हुए कहा, ‘सवाल मेरे पार्टी में शामिल होने का नहीं है बल्कि चुनाव में भाजपा का नेतृत्व कौन करेगा, यह है. जिनकी लोगों में अपील है या जिनकी नहीं है?’
कमिटी के सदस्य विधायक वासुदेव देवनानी जो भाजपा में नेताओं को फिर से शामिल कराने में लगे हैं, उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि राजस्थान में हो रही घरवापसी के पैटर्न को लेकर ज्यादा कुछ ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए.