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मुंबई। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक की Digital Currency से किसी को कोई खतरा नहीं है और यह मुद्रा किसी बैंक के पास कोई रिकॉर्ड नहीं छोड़ती। इसलिए लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। दास ने पोस्ट-पॉलिसी प्रेस मीट में संवाददाताओं से कहा कि होलसेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर पायलट प्रोजेक्ट बहुत संतोषजनक रहा है। उन्होंने कहा कि RBI खुदरा Digital Rupee के लिए चल रहे पायलट से सीख लेने और उन्हें लागू करने का इच्छुक है।
डिजिटल करेंसी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों द्वारा संभावित छापे पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि Digital Currency के पास कागजी मुद्रा वाली गुमनामी नहीं है। पेपर करेंसी के उलट बैंकों के पास डिजिटल करेंसी खरीदने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रहेगा और किसी को भी गोपनीयता की चिंताओं से डरना नहीं चाहिए।
डिजिटल करेंसी वाली गुमनामी नहीं
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि जब आप किसी अन्य व्यक्ति को करेंसी नोटों में भुगतान करते हैं तो सोर्स या पेमेंट के मकसद का पता नहीं लग पाता क्योंकि जानकारी बैंक के पास उपलब्ध नहीं होती। जबकि सीबीडीसी एक मोबाइल से किसी और के मोबाइल पर ट्रांसफर होती है। सारी चीजें रिकॉर्डेड होती हैं। लेकिन सिर्फ इसीलिए हमें यह भय या मनोविकार का शिकार नहीं होना चाहिए।
डिजिटल मुद्रा के नियम भी पेपर करेंसी की तरह
आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि आयकर विभाग के पास नकद भुगतान के लिए कुछ सीमाएं हैं। एक निश्चित सीमा से अधिक निकासी के लिए आपको अपना पैन कार्ड नंबर देना होता है। सीबीडीसी के मामले में भी यही नियम लागू होंगे, क्योंकि दोनों मुद्राएं हैं।
गोपनीयता की चिंताएं
बुधवार को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने गोपनीयता पर चिंताओं को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि आरबीआई सीबीडीसी को कागजी मुद्रा का विकल्प बनाने को लेकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल नकदी अभी भी विकास की प्रक्रिया में है और इसके नियम कायदे तय किए जाने की जरूरत है। आपको बता दें कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव सहित कई विशेषज्ञों ने सीबीडीसी के गोपनीयता वाले पहलू पर चिंता व्यक्त की है।