चूहे को मारने के बाद पुलिस से इतना डरा कि कर दिया कोर्ट में सरेंडर

After killing the rat, he was so scared of the police that he surrendered in the court.
After killing the rat, he was so scared of the police that he surrendered in the court.
इस खबर को शेयर करें

बदायूं : कभी चूहा भी मारा…? कहावत पीछे छोड़ दीजिए। पिछले सप्ताह एक युवक ने चूहे से क्रूरता की, जिसका परिणाम सबक देने वाला है। आरोपित को कानून का इतना डर सताया कि वारंट न दबिश, फिर भी वह सरेंडर करने कोर्ट पहुंच गया। शुक्रवार को चार घंटे हिरासत में रखने के बाद मुख्य न्याधिक दंडाधिकारी नवनीत कुमार भारती ने उसे जमानत दे दी। शाम को वह घर पहुंचकर बोला, जेल जाने से डर लगता है।

नाले में डुबोकर मारा था चूहा
मुहल्ला पनवड़िया निवासी मिट्टी के बर्तन बताने वाले मनोज कुमार ने 25 नवंबर को घर में चूहे पकड़े। वह एक चूहे को रस्सी से बांधकर नाले में बार-बार डुबो रहा था। उसी समय रास्ता गुजर रहे पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा ने टोका तो बहस होने लगी। इसी बीच मनोज ने चूहे की पूछ में पत्थर बांधकर नाले में डुबाकर मार दिया। विकेंद्र की शिकायत पर मनोज पर पहले शांतिभंग की कार्रवाई हुई, बाद में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिकी लिखी गई। चूहे के शव का पोस्टमार्टम बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान में कराया गया। गुरुवार को रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि फेफड़ों में पानी भरने से उसकी मृत्यु हुई थी।

मनोज के अनुसार, गुरुवार शाम को कुछ लोग कहने लगे कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट लगा पुलिस जल्द ही गिरफ्तार कर लेगी। इसी डर में शुक्रवार सुबह होते ही अधिवक्ता के पास पहुंचे और सरेंडर करने की इच्छा जताई। दोपहर को सरेंडर, फिर जमानत हो गई। शाम को मनोज ने कहा कि प्राथमिकी लिखी है इसलिए पुलिस कभी भी दबिश दे सकती। परिवार वाले भी इस बात से परेशान थे इसलिए सरेंडर कर जमानत ले ली।

गिरफ्तारी का यह है नियम
सात वर्ष या इससे अधिक सजा की धाराएं लगने पर ही पुलिस गिरफ्तार करती है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में अधिकतम तीन वर्ष की सजा है। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी नहीं होती, कोर्ट में सुनवाई व निर्णय का इंतजार रहता है। यदि आरोपित से कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर है या वह जांच प्रभावित कर सकता, तब पुलिस विवेक के आधार पर कभी भी गिरफ्तारी कर सकती है।

बालियान कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक हरपाल सिंह ने बताया क‍ि पुलिस की ओर से न कोई वारंट जारी हुआ, न कोई दबिश दी गई। ऐसी धारा नहीं थी कि मनोज की गिरफ्तारी की जाती। वह क्यों सरेंडर करने पहुंचा, इसका जवाब उसी को पता होगा। पुलिस की ओर से कोई दबाव नहीं है।