पेजर के बाद अब वॉकी-टॉकी में विस्फोट… लेबनान में सीरियल ब्लास्ट के बीच आपका स्मार्टफोन कितना सेफ?

After pager, now walkie-talkie explodes... How safe is your smartphone amid the serial blasts in Lebanon?
After pager, now walkie-talkie explodes... How safe is your smartphone amid the serial blasts in Lebanon?
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Walkie-Talkies Blast: लेबनान अब तक पेजर ब्लास्ट की घटनाओं से सहमा हुआ था कि बुधवार को वॉकी-टॉकी और छोटे रेडियो में धमाके हुए, जिसमें 3 लोग मारे गए. इस घटना ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है. मंगलवार को लेबनान में अलग-अलग जगहों पर हुए पेजर ब्लास्ट में 16 लोगों की मौत हो गई थी और 2700 लोग घायल हो गए थे, जिसमें ईरानी राजदूत भी शामिल है.

पहले फटे पेजर, अब वॉकी-टॉकी
ये घटनाएं ऐसे समय हुई हैं, जब लेबनान सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है. हालांकि इजराइली सेना ने इस पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है. ब्लास्ट विभिन्न सार्वजनिक स्थानों जैसे किराने की दुकानों, बाजारों और अन्य व्यस्त जगहों पर हुए. इस घटना का एक वीडियो फुटेज तक सामने आया था, जिसमें एक शख्स खरीदारी कर रहा था. तभी उसकी कमर पर लगा पेजर अचानक फट गया, जिससे वह जमीन पर गिर गया. आसपास खड़े लोग डर के मारे भाग गए, क्योंकि उनके आसपास अफरा-तफरी मच गई.

लेकिन इस तरीके से ब्लास्ट से आम लोगों की धड़कनें जरूर बढ़ गई हैं. क्योंकि पेजर और वॉकी-टॉकी तो गुजरे जमाने की टेक्नोलॉजी थी. मगर अब पूरा फोकस स्मार्टफोन्स पर है. दुनिया में अरबों लोग स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल करते हैं. तो क्या आपकी जेब में रखा स्मार्टफोन सेफ है? चलिए समझते हैं.

क्या स्मार्टफोन में हो सकते हैं सीरियल ब्लास्ट
हैकिंग के जरिए स्मार्टफोन को बम में बदलने का कॉन्सेप्ट बेहद भयावह है, लेकिन यह असंभव जैसा लगता है. वो इसलिए क्योंकि स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी की जटिलता और सिक्योरिटी जोखिम को कम कर देते हैं.

हिजबुल्लाह पेजर का इस्तेमाल सुरक्षा को देखते हुए करता है. सरल और लेस कनेक्टेड होने के कारण, पेजर को ट्रैक और हैक करना मुश्किल है. हालांकि, रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पेजर में विस्फोटक लगाए गए हो सकते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इजरायली खुफिया एजेंसी ने ताइवान के निर्माता से मंगाए गए पेजर में विस्फोटक डाले थे, हालांकि कंपनी ने इन दावों का खंडन किया है. अगर यह सच है, तो इससे पता चलता है कि विस्फोट को एडवांस तरीकों से दूर से ट्रिगर किया गया था.

स्मार्टफोन में होते हैं कई सेफ्टी फीचर्स

जब बात स्मार्टफोन्स की आती है तो वे अपने सॉफ्टवेयर सिस्टम और नेटवर्क कनेक्शन के कारण ज्यादा जटिल होते हैं. थ्योरी के रूप में, हैकर्स स्मार्टफोन फर्मवेयर की कमजोरियों का फायदा उठाकर फोन को ज्यादा गर्म कर सकते हैं या उसमें खराबी पैदा कर सकते हैं, लेकिन पेजर की तुलना में बड़े पैमाने पर हमले करना कहीं ज्यादा मु्श्किल हो सकता है. वो इसलिए क्योंकि स्मार्टफोन्स में काफी सिक्योरिटी लेयर्स और सुरक्षा के तरीके होते हैं, जो बैटरी की ओवरहीटिंग रोकते हैं.

आधुनिक स्मार्टफोन्स बिल्ड-इन-सेफ्टी मिकैनिक्स जैसे टेंपरेचर रेग्युलेशन सर्किट्स से लैस होता है, जो डिवाइस के ओवरहीट होने पर खुद ही चार्जिंग को कट ऑफ कर देता है. स्मार्टफोन्स में एडवांस कूलिंग सिस्टम जैसे वेपर चैम्बर्स और ग्रेफाइट लेयर्स भी होती हैं, जिससे जरूरत से ज्यादा हीटिंग को खत्म कर देती हैं.

स्मार्टफोन ओवरहीट या फिर खराबी का शिकार हो सकता है, लेकिन वे शायद ही कभी फटते हैं. दुर्लभ मामलों में स्मार्टफ़ोन में आग लगती है, लेकिन यह फिजिकल डैमेज या फिर मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट की वजह से होता है ना ही मालवेयर के कारण.

भले ही हैकर्स कहीं दूर बैठकर स्मार्टफोन की बैटरी से छेड़छाड़ कर उसे जरूरत से ज्यादा गर्म भी कर दे लेकिन बड़े स्तर पर धमाके होने के चांस बेहद ही कम हैं. ज्यादातर मामलों में फोन ओवरहीट या फूल सकता है या फिर वह मामूली आग पकड़ सकता है. लेकिन लेबनान में पेजर या वॉकी-टॉकी जैसे हमला शायद ही हो.