हिमाचल में सर्वे के बाद कांग्रेस में CM की रेस शुरू, दिल्ली में डेरा डालने की कवायद तेज

After the survey in Himachal, the race for CM in Congress started, the exercise of camping in Delhi intensified
After the survey in Himachal, the race for CM in Congress started, the exercise of camping in Delhi intensified
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शिमला. पिछले महीने हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा के चुनाव का नतीजा आने में अभी एक पखवाड़े से ज्यादा का समय है. इसके बावजूद चुनावी सर्वे से उत्साहित राज्य के कांग्रेस के दिग्गज मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए होड़ लगाने में जुट गए हैं. कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि आंतरिक सर्वे से संकेत मिलता है कि पार्टी को हिमाचल में बहुमत मिलने की संभावना है. जिससे मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की संख्या बढ़ रही है. एक वरिष्ठ नेता ने एएनआई को बताया कि उन्हें भरोसा है कि कांग्रेस हिमाचल में 42 से 46 सीटें जीत रही है और कुछ निर्दलीय विधायक भी संपर्क में हैं.

आलम यह है कि हिमाचल के बड़े नेताओं ने अभी से दिल्ली में अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और प्रचार समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मिलने जा रहे हैं. जबकि मंडी से पार्टी सांसद और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य ने भी दिल्ली का दौरा करने की योजना बनाई है. 1983 में हिमाचल प्रदेश के सीएम बनने के बाद वीरभद्र सिंह का प्रदेश कांग्रेस पर दबदबा रहा था. जब भी पार्टी की सरकार बनी, वह हिमाचल के सीएम बने. 1983 के बाद यह पहला चुनाव है जब पार्टी ने वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनके बगैर चुनाव लड़ा है.

ये वीरभद्र सिंह का ही दबदबा था कि उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह चुनाव से पहले अध्यक्ष बनकर चुनाव में कूद पड़ीं. पार्टी ने उनके विधायक पुत्र विक्रमादित्य को दूसरी बार भी मैदान में उतारा है. लेकिन उनका नगण्य प्रशासनिक अनुभव उनके सीएम बनने में बाधा है. हिमाचल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं. इसके अलावा डलहौजी से छह बार विधायक रही आशा कुमारी भी सीएम पद की रेस में हैं. आशा कुमारी छत्तीसगढ़ में मंत्री टीएस सिंहदेव की बहन हैं. कैबिनेट मंत्री रहीं आशा कुमारी अगर सातवी बार विधानसभा पहुंचती हैं, तो मुख्यमंत्री पद का दावा कर सकती हैं.

जबकि वीरभद्र सिंह के परिवार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रखना और उनके विरोधी नेता को कमान सौंपना आलाकमान के लिए परेशानी का सबब साबित होगा. ऐसे में वीरभद्र सिंह के परिवार के करीबी दो प्रभावशाली नेता मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा पार्टी के लिए विकल्प हो सकते हैं. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले उत्तराखंड चुनाव के बाद भी कांग्रेस ने ऐसी ही उम्मीद जताई थी और हरीश रावत को सीएम बनाने की तैयारी की गई थी. जबकि नतीजे कुछ और रहे और बीजेपी ने सरकार बना ली. इस बार कांग्रेस ने अपने नेताओं से कहा है कि वे हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजे आने तक दिल्ली के आसपास न घूमें.