जानवरों की तरह रखते थे, बार-बार रेप… वो महिला आश्रम जिसके बारे में जानकर HC हैरान

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नई दिल्‍ली: राजधानी के रोहिणी इलाके में बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का ‘आध्यात्मिक विश्व विद्यालय’ महिलाओं के लिए जहन्‍नुम था। लड़कियों और महिलाओं को आश्रम में जानवरों की तरह रखा जाता था। उन्‍हें कांटेदार तारों से घिरे किले में धातु के दरवाजों के पीछे कैद रखते थे। नहाने के लिए भी कोई पर्दा नहीं था। 2018 में वहां से लगभग 40 महिलाओं को बचाया गया। हाई कोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े संत वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम के कामकाज पर हैरानी जताई। दिल्ली एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह का संस्थान होने को निराशाजनक माना और आशंका जताई कि जरूर वहां कुछ न कुछ तो चल रहा था। कोर्ट ने कहा कि हम सरकार को आश्रम पर कब्जा करने का निर्देश देने जा रहे हैं। यह सरासर बकवास है। दिन-दहाड़े दिल्ली जैसे शहर में ऐसा हो रहा है। उसकी (दीक्षित) अनुपस्थिति में इसे कौन चला रहा है। इस सवाल के साथ कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमारे विचार से आश्रम को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा अपने कब्जे में ले लिया जाए। 2018 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘आध्यात्मिक विश्व विद्यालय’ को विश्व विद्यालय के रूप में घोषित करने से रोक दिया था और सीबीआई को स्वयंभू बाबा का पता लगाने का निर्देश दिया था।

दिसंबर 2018 में खुला था राज
वीरेंद्र देव दीक्षित ब्रह्म कुमारियों का अनुयायी था, जिसने बाद में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम से अपना स्वयं का संगठन स्थापित किया। दीक्षित पर दिल्ली के रोहिणी इलाके में अपने ‘किले-जैसे आश्रम’ में 100 से ज्यादा महिलाओं को बंधक बनाने और उनका यौन शोषण करने का आरोप है। बाबा और उसका आश्रम दिसंबर 2018 में सुर्खियों में आया था, जब दिल्ली पुलिस ने परिसर से 40 से ज्यादा महिलाओं को बचाया। तब से दीक्षित फरार है। इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है।

हाई कोर्ट इस संस्थान में रहने वाली एक लड़की के माता-पिता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि माता-पिता अपनी बेटी से मिलना चाहते थे, जो गंभीर पीठ दर्द से पीड़ित है, लेकिन उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि आश्रम दीक्षित के स्वामित्व में है, जिसके खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दायर की है और उसके खिलाफ कम से कम 10 मामले लंबित हैं।

आश्रम को कारण बताओ नोटिस
उन्होंने दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और एडवोकेट नंदिता राव द्वारा पेश रिपोर्ट के बारे में कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि इससे पता चला कि आश्रम में कैदी ‘जानवरों जैसी’ परिस्थितियों में रह रहे थे। उनमें से कुछ नाबालिग दिख रहे थे और रिपोर्ट से नशीले पदार्थों के सेवन की आशंका भी जाहिर हो रही थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि संस्था के सदस्य पूरी तरह से होश में हैं या वे अपनी मर्जी से रह रहे हैं, किसी जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव में नहीं। कोर्ट ने संस्थान चलाने का दावा करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि कोर्ट को संस्थान के अधिग्रहण का निर्देश देने के लिए आगे क्यों नहीं बढ़ना चाहिए।