पत्नी बोलीः ‘जबरदस्ती सेक्स करते समय पति भूल जाता था पेट में बच्चा भी है’

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बचपन से ही लड़कियों को सपना दिखाया जाता है कि एक दिन उनका राजकुमार सफेद घोड़े पर सवार होकर आएगा। जिसके बाद उनकी जिंदगी में खुशियां ही खुशियां होंगी। ग्वालियर की शालिनी, भोपाल की स्मिता और बिहार की नाजिया ने भी ऐसा ही सपना देखा था। जिसके टूटने का दर्द अब उनको किसी कांच की तरह चुभता है। ये तीनों मैरिटल रेप पीड़ित हैं, जिन्होंने भास्कर से अपनी कहानी साझा की है।

मैरिटल रेप का पूरा मसला समझने के लिए हमने इस क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट से बात की। भारत में इससे जुड़े कानूनों को खंगाला और दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप पर हो रही सुनवाई को भी ट्रैक किया। इन सब बातों को संजोकर हम यहां पेश कर रहे हैं, ताकि आप भी समझ सकें कि ये पति-पत्नी के बीच का पर्सनल मैटर नहीं, रेप है…

मैरिटल रेप की आपबीती-1ः

गर्भवती शालिनी से संबंध बनाते वक्त हैवान हो जाता था रोहन

ग्वालियर की रहने वाली शालिनी को अपना राजकुमार रोहन सोशल मीडिया से मिला था। दो-चार हफ्ते की बातचीत में दोनों को प्यार हुआ और 2019 में आर्य समाज मंदिर में शादी हो गई।

इसके बाद पति-पत्नी की मुलाकात कुछ-कुछ समय अंतराल पर होने लगती है। शालिनी गर्भवती हो जाती हैं। रोहन यह बच्चा नहीं चाहता है। रोहन की मां परिवार का वारिस चाहती हैं जिसके बाद मां की मर्जी के आगे रोहन को झुकना पड़ता है। फिर शालिनी विदा होकर ससुराल पहुंच जाती हैं। इसके बाद शुरू होती है मैरिटल रेप की दर्दनाक कहानी।

गर्भवती पत्नी के साथ रोहन का व्यवहार सही नहीं होता है। जरा-जरा-सी बात पर उन्हें मार पड़ती है। मना करने के बाद भी पति शारीरिक संबंध बनाने की जिद करता है। संबंध बनाते वक्त हैवानियत इस कदर हावी रहती है कि पति यह भूल जाता कि गर्भ में बच्चा भी है।

बेटे के पैदा होने के बाद यह स्थिति और बुरी हो गई। जबरन संबंध बनाने का सिलसिला बढ़ गया। शारीरिक प्रताड़ना दी जाने लगी। पीरियड्स के दौरान रोहन इंसानियत भूल जाता है और शालिनी पर जानवरों की तरह टूट पड़ता था, मना करने पर गाली देने लगता और तलाक की धमकी भी। यह सब कुछ जब हो रहा होता, तो बच्चा उसी कमरे में रोता रहा होता। उसे रोते देख भी रोहन का दिल नहीं पसीजता है।

एक दिन फोन पर यह बात शालिनी ने मां को बताई। मां ने भी समझाया कि यह सब पति-पत्नी के बीच नॉर्मल है। गलत कुछ नहीं, इसे जबरन नहीं कहते। मार-पिटाई और जबरन संबंध का सिलसिला जब बर्दाशत के बाहर हो गया तब शालिनी ससुराल छोड़कर मां के घर आ गईं।

इस वक्त तक शालिनी को यह नहीं पता था कि शादी के बाद पति जबरदस्ती संबंध बनाता है, तो उसे मैरिटल रेप कहते हैं। इससे पहले तक उन्हें यही लगता था कि पति के साथ अपनी इच्छा के खिलाफ संबंध बनाना पत्नी धर्म होता है। जिसे इंसाफ के कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है।

मैरिटल रेप की आपबीती-2:

नींद की दवा देकर पति बनाता था संबंध

मैरिटल रेप की शिकार हुई नाजिया की कहानी उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो समझती हैं कि पति जैसा भी है उसके साथ ही जिंदगी काटनी चाहिए।

नाजिया 23 वर्ष की थीं, मास मीडिया की पढ़ाई कर रही थीं। तब से उनके पेरेंट्स शादी के लिए परफेक्ट मैच ढूंढने लगे थे। नाजिया की शादी डॉक्टर लड़के से तय हो गई। लड़का के पिता जज थे।

शादी के बाद दो-चार दिन तक तो सब सही रहा। पर धीरे-धीरे बात समझ में आने लगी कि घर में सास से ज्यादा एक काम वाली महिला की चलती है। वजह सास जानती हैं पर चुप रहती हैं। पति से यह बात पूछा तो पहले वह टाल गया। नाजिया जल्द ही समझ गई थी कि कम उम्र की उस काम वाली के साथ घर के पुरुषों के संबंध हैं।

उसने पति के साथ रिश्ता रखने से मना कर दिया। विरोध करने का परिणाम यह हुआ कि जब भी पति को संबंध बनाने की इच्छा होती वह नाजिया को नींद की दवाई दूध में मिलाकर दे देता था। ऐसा उसके साथ हर हफ्ते होने लगा। कई बार नींद खुल जाती थी, पर रेप कर रहे पति के विरोध करने की ताकत शरीर में नहीं होती थी।

कुछ दिन बाद नाजिया प्रेगनेंट हो गई। बच्चे के जन्म के बाद भी घर की स्थिति में बदलाव नहीं हुआ। इसके बाद मायके आकर कुछ दिन के लिए वे डिप्रेशन में रही। उनकी मां चाहती थीं कि नाजिया समझौता कर वापस चली जाए। पर पिता और भाई ने साथ दिया। नाजिया ने तलाक की अर्जी दी। काफी दिनों तक केस चलने के बाद जीत नाजिया की हुई। अब पढ़ाई पूरी करने के बाद नाजिया कॉलेज में लेक्चरर बन गई हैं।

मैरिटल रेप की आपबीती-3:

स्मिता के बीमार पड़ने पर भी पति जानवरों की तरह देता था दर्द

भोपाल की रहने वाली स्मिता बड़े सख्त लहजे में मजबूती से कहती हैं, ‘मैं सिविल कोर्ट भोपाल में अपने पति के खिलाफ मैरिटल रेप का केस हार चुकी हूं, लेकिन मैंने अभी हिम्मत नहीं हारी है।’

सिविल कोर्ट भोपाल के फैसले को इंदौर हाई कोर्ट में चुनौती देने वाली स्मिता ने अपनी दर्दनाक कहानी भास्कर से साझा की है। वह कहती हैं कि शादी के तुरंत बाद वह बिल्कुल भी इस हालत में नहीं थी कि अपने पति की सेक्सुअल फैंटेसी को तुरंत पूरा कर सके। उसने अपने पति को संबंध बनाने के लिए कुछ दिनों तक ठहरने की बात कही। लेकिन, सालों से सेक्स के लिए भूखा उसका पति शराब के नशे में जानवर की तरह उस पर टूट पड़ा। वह सेक्स टॉय समझकर उसके शरीर पर चोट पहुंचाता रहा।

स्मिता के लिए यह घटना किसी दर्दनाक हादसे की तरह थी। इसके बाद वह कई रोज अस्पताल में भर्ती रहीं। फिर ससुराल वाले पति को परमात्मा बताते हुए स्मिता को समझा-बुझाकर अपने घर ले गए। ठीक होने के बाद स्मिता को लगा कि सबकुछ सही हो जाएगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। एक दिन जब पति ने जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश की तो सुबह-सुबह स्मिता किसी तरह ससुराल वालों से बचकर अपने माता-पिता के घर पहुंच गई।

स्मिता ने वापस ससुराल जाने से इनकार कर दिया। फिर पति ने पुलिस थाने में स्मिता के चाल-चरित्र पर सवाल खड़ा करते हुए शिकायत कर दी। इसके बाद जब स्मिता अपने पति के खिलाफ केस करने के लिए थाने पहुंची। वहां उसे पता चला कि पति को पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का अधिकार संविधान से प्राप्त है। हालांकि, वह इस लड़ाई को लड़ रही है और उसे उम्मीद है कि आने वाले समय में उसकी जीत होगी।

काउंसलर: सच कहने से डरती हैं मैरिटल रेप पीड़ित

ग्वालियर में रहने वाली ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (AIDWA) की काउंसलर प्रीति सिंह कहती हैं कि उनकी संस्था के पास आने वाले ज्यादातर मामले मैरिटल रेप से जुड़े होते हैं। प्रीति कहती हैं कि पति के जोर-जबरदस्ती से परेशान महिलाएं कुछ भी बोलने से पहले डरी-सहमी होती हैं।

उनमें से ज्यादातर को लगता है कि पति को रेप का अधिकार होता है। हाल ही में काउंसलिंग के लिए आई पूजा (बदला हुआ नाम) के बारे में प्रीति ने बताया कि वह कुछ भी बोलने के बजाय सिर्फ रो रही थीं। पीड़ित की मां ने जब कहानी सुनाना शुरू किया तो सुनकर काउंसलर हैरान रह गई।

प्रीति कहती हैं कि गांवों में महिलाओं को सेक्स टॉय समझा जाता है। कोर्ट या सरकार मैरिटल रेप को गैर कानूनी करार देती है, तो इससे रोज-रोज यातनाएं झेल रही महिलाओं को मदद मिलेगा। उसे भरोसा होगा कि पति गलत करता है, तो उसे सजा दिलाना संभव है। पुरुषों में भी डर होगा कि पत्नी के साथ जबरदस्ती करने पर उन्हें सजा मिलेगी। इस तरह महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय में कमी आएगी।

भारतीय कानून में मैरिटल रेप को लेकर क्या कहा गया है?

साल 1736 में ब्रिटिश कानूनी विद्वान सर मैथ्यू हेल ने मैरिटल रेप के बारे में बताया कि शादीशुदा जीवन में रेप असंभव है। ऐसा इसलिए क्योंकि शादी के बाद पति को पत्नी से सेक्स करने की छूट मिल जाती है। इसी के आधार पर ब्रिटेन के कानून में भी मैरिटल रेप को गैरकानूनी नहीं माना गया था। भारत में भी रेप का कानून ब्रिटेन से लिया गया है। इसलिए यहां भी मैरिटल रेप को गैरकानूनी नहीं माना गया है। हालांकि, बाद में ब्रिटेन ने मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में डाल दिया है।

भारतीय कानून की बात करें तो इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 में रेप को अपराध बताया गया है। आईपीसी की धारा 375 अपवाद (2) के मुताबिक, कोई आदमी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, जिसकी उम्र 15 साल या उससे ऊपर है तो वह बलात्कार नहीं कहलाएगा, भले ही उस आदमी ने पत्नी के साथ जोर जबरदस्ती ही क्यों न की हो।

2017 में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने लड़की की उम्र बढ़ाकर 18 साल कर दी है। 2015 में इस कानून के खिलाफ ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (AIDWA) ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करके कहा था कि यह कानून पति को पत्नी पर अत्याचार करने का हक देता है। ऐसे में मैरिटल रेप को गैरकानूनी घोषित होना चाहिए।

मैरिटल रेप इसलिए भी गंभीर मुद्दा है क्योंकि जैसे रेप करते वक्त एक आरोपी सामने वाली महिला की सहमति के बिना जबरदस्ती करता है। उसी तरह मैरिटल रेप के मामले में भी सेक्स करने में सहज नहीं होने पर भी पत्नी के साथ पति जबरदस्ती सेक्स करता है, जो गलत है।

भारत में 29% से ज्यादा महिलाएं पति की यौन हिंसा का शिकार

भारत में पति अपनी पत्नी से रेप करें तो उसे अपराध नहीं माना जाता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 29 फीसदी से ज्यादा महिलाएं पति से शारीरिक हिंसा का सामना करती हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को पति के अन्याय का सामना ज्यादा करना पड़ता है। गांवों में 32% जबकि शहरों में 24% महिलाएं मैरिटल रेप की शिकार होती हैं। दुनिया भर के 77 देशों में मैरिटल रेप को रोकने के लिए कानून हैं। बता दें कि जिस ब्रिटेन को देख कर भारत ने आईपीसी की धारा 375 में मैरिटल रेप को अपवाद रखा। उस ब्रिटेन ने भी अब मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा है।