अगले 27 सालों में खत्म हो जाएगा दुनिया से अनाज का एक-एक दाना? वैज्ञानिकों का हैरान करने वाला दावा

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इंसान अनाज की इतनी बर्बादी करता है कि उसे इस बात की समझ भी नहीं रहती कि बिना अनाज के उसकी जिंदगी कैसी होगी. गरीबों को खाने को दो वक्त की रोटी भी ठीक से नहीं मिलती है मगर इंसान तभी भी नहीं समझता. पर अब एक लेटेस्ट रिपोर्ट को पढ़ने के बाद इंसान को समझना पड़ेगा नहीं तो बहुत देर हो जाएगी. वैज्ञानिकों का दावा है कि अगले 27 सालों में दुनिया का सारा अनाज खत्म (Food will get over in 27 years from world) हो जाएगा.

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार 24 अप्रैल से वैज्ञानिकों ने मौत के दिन की गिनती की शुरुआत कर दी है. यानी वो दिन जब इस दुनिया से सारा अनाज खत्म (World will run out of food in 27 years) हो जाएगा. वैज्ञानिकों का दावा है कि आज से धरतीवासियों के पास सिर्फ 27 साल, 251 दिन बाकी हैं. सोशियोबायोलॉजिस्ट एडवर्ड विल्सन (Sociobiologist Edward Wilson) ने कहा कि हमें दो धरतियों की जरूरत पड़ेगी अगर हमें अभी के धरतीवासियों की खाने की मांग को पूरा करना है.

27 सालों में खत्म हो सकता है खाना!
एडवर्ड ने कहा कि धरती पर इंसानों के लिए खाने की चीजें पैदा करने की एक सीमा है. अगर धरती का हर इंसान शाकाहारी भी बन जाता है तो दुनिया भर के किसान और उनके खेत इतना खाना नहीं पैदा कर पाएंगे जिससे इंसानों की जरूरतों को पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में दुनिया की आबादी इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी कि हर किसी की खाने की डिमांड (Food demand of human beings on earth) को पूरा नहीं किया जा सकेगा. अगले 27 सालों में दुनिया की आबादी 10 बिलियन यानी 1,000 करोड़ पहुंच जाएगी. अगर डिमांड की बात करें तो ये साल 2017 की तुलना में 70 फीसदी तक बढ़ जाएगी.

धरती को कितने लोगों के लिए पैदा करना पड़ेगा खाना?
जानकारों ने बढ़ती आबादी और खाने की पैदावार की गड़ना करने के बाद ये नतीजा निकाला है कि अगले 40 सालों में इंसान को उतना खाना पैदा करना पड़ेगा जितना पिछले 8 हजार सालों में इंसान ने नहीं पैदा किया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि ये धरती 1000 करोड़ लोगों को तो खाना खिला पाएगी मगर उसके बाद धरती पर भी दबाव पड़ने लगेगा. उन्होंने बताया कि लोग अपनी जरूरत से ज्यादा खाना खा रहे हैं और उसे बर्बाद कर रहे हैं. ऐसे में धरती पर खाने को पैदा करने का दबाव भी बढ़ता जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि अगर धरती पर सभी लोग शाकाहारी हो जाएं तो ज्यादा आबादी को खाना खिलाया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर मक्के के बदले मीट पैदा करने में 75 गुना ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल होता है. उन्होंने दावा किया कि 2050 तक दुनिया के सभी देशों में खाने की कमी होने लगेगी.