कंगाल हो सकता है अमेरिका! अडानी की नेटवर्थ से भी कम कैश बचा, अब क्या होगा इस देश का?

America can be poor! Cash left less than Adani's net worth, what will happen to this country now?
America can be poor! Cash left less than Adani's net worth, what will happen to this country now?
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America Update: अमेरिका में इन दिनों आर्थिक तौर पर हालात काफी खराब देखने को मिल रही है. दरअसल, अमेरिका में डेट सीलिंग संकट (US Debt Ceiling Crisis) को लेकर काफी चर्चाएं चल रही है और ऐसा माना जा रहा है कि जल्दी ही अमेरिका कंगाल हो सकता है और डिफॉल्टर देश बन सकता है. अगर ऐसा होता है को अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब देश डिफॉल्टर हो गया हो. बता दें कि फिलहाल अमेरिका के पास काफी कम कैश बचा है. अमेरिका के पास जितना कैश मौजूदा वक्त में बचा हुआ है वो कारोबारी गौतम अडानी की नेटवर्थ से भी काफी कम है. देश के पास अब केवल 57 अरब डॉलर का कैश रह गया है जो गौतम अडानी की नेटवर्थ से भी कम है. वहीं ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक अडानी की नेटवर्थ फिलहाल 64.2 अरब डॉलर है.

डिफॉल्टर बन सकता है देश
वहीं अमेरिका का हाल ये है कि उसे हर दिन 1.3 अरब डॉलर का ब्याज देना पड़ रहा है, जिसका असर भी देश के हालात पर दिखने लगा है. इसके कारण अमेरिकी शेयर बाजार को भी झटका लगा है और चार घंटे में ही 400 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है. इस बीच अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने भी अलर्ट किया है और कहा है जल्दी ही इस संकट का समाधान होना चाहिए, नहीं तो एक जून को देश डिफॉल्टर बन जाएगा.

दुनिया पर दिखेगा असर
वहीं एक जून काफी नजदीक आ चुकी है और देश लगातार और भी ज्यादा संकट में घिर रहा है. अब अगर अमेरिका ने कर्ज नहीं चुकाया तो अमेरिका को काफी नुकसान हो सकता है. कर्ज के भुगतान में अमेरिका अगर डिफॉल्ट कर गया तो सभी आउटस्टेंडिंग सीरीज ऑफ बॉन्ड्स पर भी इसका असर देखने को मिलेगा. साथ ही अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो इसका असर केवल अमेरिका पर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा.

ये भी है नुकसान
वहीं इसके कारण अमेरिका में लाखों नौकरियां जाने का भी खतरा बना हुआ है. साथ ही शेयर मार्केट पर बुरा असर पड़ेगा और शेयर मार्केट भी धड़ाम हो सकता है. वहीं जीडीपी में भी गिरावट का अंदेशा जताया गया है. इसके साथ ही बेरोजगारी भी बढ़ सकती है. हाल ही में अमेरिका में बैंकिंग संकट भी देखने को मिला था, वहीं अब भी बैंकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.