भारत-रूस की इस ‘डील’ से घबराया अमेरिका, बोला- हम गुजारिश कर रहे हैं

America terrified by this 'deal' of India-Russia, said - we are requesting
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America India Relation: जो बाइडन के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और अमेरिका के संबंद मिले-जुले ही रहे हैं. दोनों देशों के बीच संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए दोनों देशों के कई नेता प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में अमेरिका के तीन सीनेटरों ने एक विधायी संशोधन में कहा कि साझा लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित मजबूत अमेरिका-भारत रक्षा भागीदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं. यही नहीं यह विधायी संशोधन राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन से भारत को रूसी हथियारों से दूरी बनाने के लिए प्रेरित करने का आग्रह करता है.

क्या कहा है तीनों सीनेटर ने
सीनेट में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर और सीनेटर जैक रीड और जिम इनहोफ ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम में संशोधन में कहा कि भारत, चीन से आसन्न और गंभीर क्षेत्रीय सीमा खतरों का सामना करता है और भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना का आक्रामक रुख जारी है. गौरतलब है कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आई है, जिससे लंबे समय से दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ है.

हथियारों के लिए अभी रूस पर ज्यादा निर्भरता
संशोधन में कहा गया है, ‘अमेरिका को भारत की रक्षा जरूरतों का दृढ़ता से समर्थन करते हुए उसे रूस में निर्मित हथियार और रक्षा प्रणाली न खरीदने के लिए भारत को प्रेरित करने के वास्ते अतिरिक्त कदम उठाने चाहिए.’ इसमें कहा गया है कि भारत अपनी राष्ट्रीय रक्षा के लिए रूस द्वारा निर्मित हथियारों पर निर्भर रहता है. रूस भारत में सैन्य हार्डवेयर का मुख्य आपूर्तिकर्ता रहा है. अक्टूबर 2018 में भारत ने अमेरिका की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयां खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. अमेरिकी विधायी संशोधन में कहा गया है कि ‘साझा लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित मजबूत अमेरिका-भारत रक्षा भागीदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए अहम है.’

सरकारों और उद्योगों के बीच भागीदारी जरूरी
इस संशोधन में अहम और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर अमेरिका-भारत पहल का स्वागत किया गया और कहा गया है कि कृत्रिम बुद्धिमता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी, एअरोस्पेस और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में आगे बढ़ने के उद्देश्य से दोनों देशों में सरकारों और उद्योगों के बीच करीबी भागीदारी विकसित करना जरूरी कदम है.