प्रयागराज। गड़िया काहे रोक दियो इहां, कुछ बतउबो…। स्थानीय भाषा में यह सवाल माफिया अतीक अहमद ने पुलिसवालों से उस समय किया, जब गुजरात के साबरमती जेल से निकलने के बाद देर रात उसका काफिला एक स्थान पर रोक दिया गया। जैसे ही गाड़ी रुकी पहले से घबराया माफिया अतीक अहमद एकदम चीख ही पड़ा।
नैनी सेंट्रल जेल में अतीक को पहुंचाने के बाद पुलिस टीम के कुछ सिपाहियों से दैनिक जागरण ने बातचीत की तो पहले तो कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए। बाद में नाम न छापने की शर्त पर पुलिस ने बताया कि सफर के दौरान रात भर अतीक के चेहरे पर खौफ साफ दिखाई पड़ रहा था।
रविवार को पुलिस जब उसे साबरमती जेल लेने पहुंची तो मेडिकल चेकअप के दौरान उसने कमर में दर्द होने की बात कही थी। गाड़ी में बैठने से पहले उसने असमर्थता जताई। लेकिन पुलिस को आदेश था कि गाड़ी में ही लाना है तो, ऐसे में उसको वज्र वाहन (पुलिस वैन) में एक गद्दा और दो तकिया दिया गया।
पुलिस वैन में दोनों तरफ की लंबी सीट के बीच खाली जगह पर गद्दे को डाल दिया गया था। रास्ते में वह कई बार उस गद्दे पर लेटा, लेकिन बैचेन होकर कुछ देर में ही उठकर बैठ जाता था। गाड़ी की रफ्तार कम होने पर वह काफी घबरा जाता है। जब गाड़ी साबरमती जेल से निकलने के बाद रुकी तो कहने लगा ड़िया काहे रोक दियो इहां, कुछ बतउबो…।
जिस गाड़ी में अतीक को लाया जा रहा था, उस वाहन को तिरपाल से पूरी तरह से ढक दिया गया था, जिसकी वजह से वह जाली से बाहर भी नहीं झांक पा रहा था। लेकिन ड्राइवर के पीछे बनी खिड़की से वह सड़क पर नजर दौड़ा रहा था।
पुलिस ने बताया कि बीच-बीच में वह चालक से पूछ भी रहा था कि कहां तक पहुंचे हैं। टायलेट और शौच के लिए भी वाहन में वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। खाने-पीने की चीजें खिड़की से मुहैया कराई जा रही थी। प्रयागराज की सीमा में प्रवेश करने के बाद उसके चेहरे पर कुछ सुकून दिखा था।