
प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस शहर में कभी तूती बोलती थी। एक इशारे पर पुलिस अधिकारी भी सेवा में हाजिर हो जाते थे। उसी प्रयागराज शहर में ऐसा दिन भी देखने को मिलेगा। पहले कोर्ट में रोया, फिर अपनी सुरक्षा को लेकर गिड़गिड़ाया। कहा प्रोस्टेट का रोगी हूं, बार-बार पेशाब जाना होता है लेकिन नहीं जाने दे रहे। सजा के ऐलान के बाद नैनी जेल पहुंचा तो गेट पर ही पांच घंटे तक बैठे रहना पड़ा।
कोर्ट से सजा का ऐलान होने के बाद नैनी जेल के अंदर दोबारा घुसने की इजाजत नहीं मिली। जैसे गुजरात से आया था, वैसे ही दोबारा साबरमती जेल के लिए रवाना होना पड़ा। पांच घंटे तक वैन में ही बैठे रहने के बाद 24 घंटे लंबी यात्रा पर दोबारा निकलना पड़ा। ऐसे में अतीक अहमद आज का दिन शायद ही भूल सके। 40 साल के आपराधिक इतिहास में पहली बार सजा मिली है। सजा भी ऐसी की ताउम्र जेल में ही गुजारनी पड़ेगी। जेल में भी अब मौज नहीं हो सकेगी। कोर्ट ने सश्रम सजा दी है। ऐसे में वहां भी आम कैदियों की तरह रोजाना श्रम करना पड़ेगा।
कोर्ट में बोला- हुजूर मेरी सुरक्षा और शरीर, दोनों की जिम्मेदारी कौन लेगा?
एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश डॉ दिनेश शुक्ला ने जब सजा सुना दी और वारंट बन गया तो अतीक अहमद और अशरफ दोनों ने न्यायालय से कहा कि उन्हें आप के आदेश पर साबरमती जेल जो कि प्रयागराज से 1400 किलोमीटर की दूरी पर है एवं बरेली जिला जेल जो करीब 600 से अधिक किलोमीटर की दूरी पर है सीधे यात्रा करते हुए बिना किसी नींद लिए और न ही किसी अन्य सुविधा के लाया गया है, इससे उनकी सेहत पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है।
अतीक अहमद ने कहा कि वह प्रोस्टेट का रोगी है, इसलिए बार-बार उसे पेशाब करने के लिए जाना पड़ता है, परंतु रास्ते में गाड़ी नहीं रोकी जाती रही और न्यायालय में भी यहां लाकर बैठा दिया गया है। कहीं आने जाने नहीं दिया जा रहा है।
अशरफ ने न्यायालय से कहा कि उसकी सेहत और सुरक्षा के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया था, उसकी अनदेखी कर उसे यहां की कोर्ट में लाया गया। आदेश का पालन नहीं किया गया, इसलिए अब जब उसे यहां से वापस बरेली जेल भेजा जाए तो न्यायालय के आदेश पारित कर सक्षम अधिकारी को सौंपें और उच्च न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित करा दें, जिससे कि उसके शरीर और जानमाल की रक्षा हो सके। न्यायालय ने इन दोनों के तर्कों को सुनने के पश्चात इस संबंध में आदेश जारी किया और उन लोगों को न्यायालय से संबंधित जेल में दाखिला कराने वाले अधिकारी को आदेश की प्रतियां सौंप दीं।
जेल गेट के बाहर पांच घंटे वाहन में बैठा रहा माफिया
उमेश पाल अपहरण कांड में सजा सुनने के बाद मायूस अतीक अहमद को पांच घंटे तक नैनी सेंट्रल जेल गेट के सामने वज्र वाहन में बैठना पड़ा। ऐसे में अपने को असुरक्षित महसूस कर रहा अतीक बेचैन रहा। असल में मामला कानूनी पेच को लेकर फंसा था। दोपहर बाद 3:52 बजे अतीक को कड़ी सुरक्षा में केंद्रीय कारागार नैनी ले जाया गया, लेकिन जेल प्रशासन ने उसे दाखिल करने से इनकार कर दिया।
जेल प्रशासन ने साफ किया कि फैसले के बाद अतीक को जेल में रखने का आदेश उनके पास नहीं आया है। इसके बाद खलबली मच गई। अतीक को रात में ही अहमदाबाद की साबरमजी जेल भेजने के इंतजाम होने लगे। आला अफसरों ने जरूरी दस्तावेज तैयार कराकर रात करीब 8:36 बजे अतीक को वज्र वाहन से अहमदाबाद के लिए रवाना किया।
असल में अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अहमदाबाद की साबरमती जेल शिफ्ट किया गया था। उमेश पाल अपहरण कांड में मंगलवार को फैसला आने की वजह से अदालत के आदेश पर अतीक को हाजिर अदालत किया गया। एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक को उम्रकैद की सजा सुना दी।
सजा सुनाए जाने के बाद न्यायिक प्रक्रिया के तहत प्रयागराज पुलिस अतीक को हिरासत में लेकर नैनी जेल में शिफ्ट करने पहुंची। मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश का था। ऐसे में यहां की जेल में अतीक को रखे जाने का मामला फंस गया।
आखिर में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कानूनी दस्तावेज तैयार कराए। यहां से अतीक को साबरमती जेल ले जाए जाने की प्रक्रिया पूरी की गई। सुरक्षा में जाने वाले पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों की ड्यूटी लगी। इसके बाद अतीक को रवाना किया गया। पांच घंटे तक जेल गेट के बाहर वज्र वाहन में अतीक के बैठे रहने की वजह से अफरातफरी का आलम रहा।
जेल परिसर से दूर अतीक करीबियों का भी जमघट लगने लगा था। इस बीच अतीक को एक बार फ्रेश होने के लिए पीएसी बैरक ले जाया गया था। इससे पहले दोपहर बाद 3:38 बजे अशरफ को वज्र वाहन से कोर्ट परिसर से निकाल कर सीधे बरेली ले जाया गया। सजा पाए अधिवक्ता खान सौलत हनीफ और दिनेश पासी को नैनी सेंट्रल जेल में दाखिल कर दिया गया।