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श्रीनगर। सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 के संदर्भ में दायर याचिकाओं पर अपना निर्णय सोमवार को सुनाने जा रहा है। फैसला क्या होगा, यह सिर्फ पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ही जानती है, लेकिन जम्मू कश्मीर में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो चुकी है। नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आशंका जताई कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पहले कश्मीर में मुख्यधारा के सभी नेताओं को नजरबंद या हिरासत में लिया जा सकता है।
अफवाह फैलाकर लोगों में डर पैदा करने की कोशिश
वहीं, भाजपा ने उम्मीद जताई कि जो भी फैसला आएगा देश के लोग उसका दिल से सम्मान करेंगे। इस बीच, पुलिस व प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई अफवाह फैलाकर लोगों में डर पैदा करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ तत्काल कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। इन सभी के बीच, आम लोग अपने कामकाज में मग्न आगे बढ़ते नजर आए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 उनके लिए अब कोई मुद्दा नहीं है।
सभी को निर्णय का इंतजार
कुलगाम के देवसर में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत में उमर ने कहा कि मैं अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सिर्फ दुआ ही कर सकता हूं कि यह जम्मू कश्मीर के लोगों के हक में हो। निर्णय को लेकर जितने हम आशंकित हैं, उतनी सरकार भी। हम सभी निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। फैसले के बाद ही हम अपने अगले कदम का एलान करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट
अनंतनाग में पत्रकारों से बातचीत में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने कहा कि हमें कुछ ऐसी सूचियां मिल रही हैं जिनमें विभिन्न राजनीतिक दलों विशेषकर पीडीपी के नेताओं व कार्यकर्ताओे के नाम हैं, जिन्हें पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जाएगा। इसे देखते हुए लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला न जम्मू कश्मीर के हित में होगा और न राष्ट्रहित में। महबूबा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 की सुनवाई में काफी लंबा समय लिया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट होना चाहिए।
नहीं होनी चाहिए राजनीति: भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट या उसके फैसले पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। देश के लोग इस निर्णय का दिल से सम्मान करेंगे और इसे स्वीकार करेंगे।
क्या कहते हैं कश्मीर के लोग
-कश्मीर में प्रसिद्ध लेखक बिलाल बशीर ने कहा कि क्या यहां आम लोगों ने अनुच्छेद 370 को बनाए रखने के लिए कभी कोई जुलूस निकाला है। ऐसा न 370 हटने से पहले हुआ और न बाद में। मतलब, आम लोगों के लिए यह कोई मुद्दा नहीं है।
-अपनी दुकान में ग्राहकों को शाल दिखा रहे जावेद नक्शबंदी ने कहा, जो होना था, हो चुका। यहां कोई इस बात की चिंता नहीं करता कि अदालत में क्या होगा। यहां कारोबार चल रहा है, स्कूल खुल रहे हैं, बस यही चाहिए। अनुच्छेद 370 का मसला केवल राजनीति दलों के बीच का है।
-समाजसेवी सलीम रेशी ने कहा कि अगर कश्मीरियों को अनुच्छेद 370 वापस चाहिए होता तो दबाव बनाने के लिए आज कश्मीर बंद होता। यहां सबकुछ सामान्य है।
-स्थानीय निवासी फिरदौस बट ने कहा कि यहां बहुत कुछ बदल चुका है। अनुच्छेद 370 आम लोगों के नाम पर सियासत करने वालों का सियासी मुद्दा है, मेरे जैसे लोगों का नहीं।
-समाजसेवक एजाज अहमद ने कहा, आम कश्मीरी अब झांसे में नहीं आता। घड़ी की सुइयां वापस नहीं घूम सकती। इसलिए 370 नहीं, केवल जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की बात होगी।