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अंबाला। अनिल विज दो बार मनोहर लाल खट्टर कैबिनेट में शामिल रहे हैं। हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री और अंबाला कैंट के भाजपा उम्मीदवार अनिल विज ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोका है। उन्होंने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें विधायक-मंत्री रहते हुए खुद के कराए काम गिनवाए।
विज ने कहा, ‘मैं सबसे सीनियर नेता हूं। अपनी सीनियरिटी के दम पर मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करूंगा। पार्टी बनाती है या नहीं, यह उनका फैसला है।’ विज से पहले गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी CM पद के लिए अपना दावा पेश कर चुके हैं।
29 जून 2024 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पंचकूला में नायब सैनी के चेहरे पर हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी। इसके बावजूद हरियाणा के कई सीनियर लीडर सैनी के नाम पर नाराजगी जता रहे हैं।
सारे हरियाणा से लोग आ रहे हैं। मैं जहां-जहां गया, लोग कह रहे हैं कि आप सीनियर हो, CM क्यों नहीं बने? मैं उन लोगों की मांग पर अपनी सीनियरिटी के दम पर मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करूंगा। पार्टी बनाती है या नहीं, यह उनका फैसला है।
विज ने कहा कि मैंने आज तक कोई पद नहीं मांगा, लेकिन आज दावा पेश कर रहा हूं। अगर पार्टी ने मुझे CM बना दिया तो मैं हरियाणा की तकदीर बदल दूंगा, तस्वीर बदल दूंगा।
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया था। तब भी सैनी की ताजपोशी से अनिल विज नाराज हो गए थे। उनकी नाराजगी कई मीटिंग्स में खुलकर नजर आई थी।
2014 में भी CM पद के दावेदार थे विज अनिल विज हरियाणा भाजपा के वरिष्ठतम नेता है। वह अंबाला कैंट से 8 बार विधानसभा चुनाव लड़कर 6 बार विधायक बन चुके हैं। इस बार वह नौवीं बार अंबाला कैंट से चुनाव मैदान में है।
साल 2014 की मोदी लहर में जब BJP ने पहली बार अपने बूते हरियाणा की 90 में से 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया था, तब अनिल विज, रामबिलास शर्मा और ओमप्रकाश धनखड़ सीएम बनने की दौड़ में थे। उस दौरान यह चर्चा भी रही कि भाजपा किसी जाट की बजाय पंजाबी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाएगी। इससे विज की दावेदारी और प्रबल हो गई, लेकिन उसके बाद भाजपा ने अचानक पंजाबी बिरादरी से ही आने वाले पहली बार के MLA मनोहर लाल खट्टर का नाम आगे कर दिया।
खट्टर सीएम पद से हटे तो सैनी आ गए लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ समय पहले भाजपा ने सबको चौंका दिया। भाजपा ने हरियाणा में साढ़े 9 साल से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से इस्तीफा दिलवा दिया। उनकी जगह पर अचानक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी को सीएम बनाया। तब चर्चा थी कि विज को कुर्सी मिल सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ।
12 मार्च को अनिल विज विधायक दल की मीटिंग बीच में छोड़कर चले गए थे।
मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए विज अनिल विज मनोहर लाल खट्टर की दूसरे टर्म की सरकार में गृह और स्वास्थ्य मंत्री थे। जब खट्टर ने इस्तीफा दिया तो विज भी उनके साथ थे। इसके बाद नए सीएम को चुनने के लिए मीटिंग हुई तो विज अचानक बीच में से बाहर आ गए। तब ये चर्चा रही कि नायब सैनी का नाम सुनने के बाद विज ने मीटिंग बीच में छोड़ दी।
इसके बाद विज का नाम सीएम सैनी के मंत्रिमंडल में भी था, लेकिन विज ने मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया। वे शपथग्रहण समारोह में भी नहीं पहुंचे। इसके बाद विज बार-बार यही कहते रहे कि उनकी कोई नाराजगी नहीं है।
नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अनिल विज ने नाराजगी जाहिर की थी।
लोकसभा चुनाव में सिर्फ अंबाला में प्रचार किया लोकसभा चुनाव के दौरान भी अनिल विज की नाराजगी खुलकर सामने आई थी। विज ने कहा था कि वे अपनी अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र के अलावा कहीं भी चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। अंबाला कैंट से कमल खिलाएंगे। अब मेरे साथ जो हुआ, मुझे समझ में आ गया है। इसलिए मैं अब यहीं रहूंगा।
चुनाव प्रबंधन की लिस्ट में शामिल नहीं किया तो दिल्ली पहुंचे इसके बाद विधानसभा चुनाव को लेकर BJP की प्रदेश चुनाव समिति बनाई गई थी। उस लिस्ट में अनिल विज का नाम नहीं था। इसके बाद विज रातोंरात दिल्ली पहुंच गए। यहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री और प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की। इसके बाद भाजपा ने लिस्ट में संशोधन करते हुए विज का नाम शामिल कर लिया था।