अभी-अभी: राजस्थान के लिए आई बड़ी खुशखबरी, खुशी से झूम उठेंगे आप

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जयपुर। प्रदेश में जहां लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार घटती जा रही है। वहीं इसी के साथ एक और खुखबरी सामने आई है। अच्छी खबर यह है कि प्रदेश के 76 फीसदी लोगों में कोरोना वायरस की एंडीबॉडी बन चुकी है। ऐसे में राजस्थान में तीसरी लहर की संभावनाएं काफी कम हो गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी (ICMR) की ओर से जारी सीरो सर्वे की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बता दें कि राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर ने मार्च के आखिरी सप्ताह में दस्तक दी थी। ढाई माह में 6.17 लाख कोरोना मरीज राजस्थान में मिले थे। वहीं बीकानेर में डेल्टा प्लस वैरिएंट का केस मिला था, जिसके बाद से ही राजस्थान में तीसरी लहर को लेकर भय का माहौल बना हुआ है।

राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर
उल्लेखनीय है कि आईसीएमआर की पिछले महीने किए गए सीरो सर्वे की रिपोर्ट में यह पता चला है कि राजस्थान में ऐसा दूसरा राज्य है, जहां 76 प्रतिशत लोगों में एंटी बॉडी मिली है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं इस रिपोर्ट में पहले स्थान पर मध्यप्रदेश और बिहार तीसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 79, राजस्थान में 76.2, बिहार में 75.9, गुजरात में 75.3, छत्तीसगढ़ में 74.6, उत्तराखण्ड में 73.1, उत्तर प्रदेश में 71 और आंध्र प्रदेश में 70.2 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली है। इसी तरह कर्नाटक में 69.8, तमिलनाडु में 69.2, उड़ीसा 68.1, पंजाब 66.5, तेलंगाना 63.1, जम्मू-कश्मीर 63, हिमाचल 62, झारखण्ड में 61.2, पश्चिम बंगाल में 60.9, हरियाणा में 60.1, महाराष्ट्र में 58, असम में 50.3 और केरल में 44.4 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिले हैं।

1226 सैंपल्स में से 934 में मिली एंटीबॉडी
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में जून-जुलाई में अलग-अलग शहरों से कुल 1226 लोगों के रेण्डम सैंपल लिए गए। इन सैंपल की जांच जब करवाई तो उसमें 934 की रिपोर्ट में एंटीबॉडी मिली। ऐसे में जानकारों का मानना है कि प्रदेश में तीसरी लहर के दस्तक देने के अनुमान कम हो गए हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने सलाह अभी यही है कि एंटीबॉडी डवलप होने के बाद भी लोग कोविड प्रोटोकॉल का पालन करे। मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखे।

क्या होता है सीरो सर्वे
आपको बता दें कि सीरो सर्वे में ब्लड टेस्ट के जरिए देखा जाता है कि कितने लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है। इससे यह पता चलता है कि कितनी आबादी को कोरोना का इन्फेक्शन हो गया है यानी सीरो-प्रिवेलेंस है। इस तकनीक के जरिए विशेषज्ञों को आगे की रणनीति बनाने में मदद मिलती है। साथ ही कोरोना की लड़ाई को मजबूती से लड़ने के प्रयास किए जाते हैं।