अभी-अभी: अब देश में मोबाइल रिचार्ज कराना हुआ महंगा, जानिए नए प्लान

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नई दिल्ली। टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनी भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ने प्रीपेड प्लान्स (Prepaid plans) की टैरिफ दरों (Tariff rate) में बढ़ोतरी की घोषणा की है। कंपनी ने इनमें 25 फीसदी तक का इजाफा किया है। नई टैरिफ दरें 26 नवंबर से लागू होंगी। एयरटेल के बाद अब बाकी टेलिकॉम कंपनियां भी टैरिफ में बढ़ोतरी कर सकती हैं।

कंपनी ने बताया कि उसका 79 रुपये का बेस प्लान अब 99 रुपये का हो गया है। इसमें 50 फीसदी ज्यादा टॉक टाइम मिलेगा। इसी तरह 149 रुपये का प्लान अब 179 रुपये में मिलेगा। इसमें 28 दिन की वैलिडिटी के साथ अनलिमिटेड कॉलिंग, रोजाना 100 एसएमएस और कुल 2 जीबी डेटा मिलेगा। इसी तरह 219 रुपये वाला प्लान अब 265 रुपये का हो गया है। इसमें 28 दिन की वैलिडिटी के साथ रोजाना 100 एसएमएस और 1 जीबी डेटा मिलेगा।

एयरटेल बनाम जियो
एयरटेल बेस प्लान जहां 20 रुपये महंगा हुआ है, वहीं सबसे महंगे प्लान में 501 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। कंपनी का सबसे महंगा प्लान अब तक 2498 रुपये का था जो अब 2999 रुपये का हो गया है। इसमें एक साल तक अनलिमिटेड कॉलिंग, रोजाना 100 एसएमएस और 2 जीबी डेटा मिलता है।

इस बढ़ोतरी के बाद एयरटेल के पीपेड प्लान्स रिलायंस जियो (Reliance Jio) की तुलना में 30 से 50 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। जियो का 2जीबी और 28 दिन की वैलिडिटी वाला प्लान 129 रुपये का है जबकि एयरटेल की इस प्लान की कीमत 179 रुपये है। इसी तरह जियो का रोजाना 1.5 जीबी वाला 84 दिन वैलिडिटी का प्लान 555 रुपये का है जबकि एयरटेल के ग्राहकों को इसके लिए 719 रुपये चुकाने होंगे।

और बढ़ सकता है टैरिफ
एयरटेल ने एक बयान में कहा कि एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) 200 रुपये होना चाहिए और फिर इसे बढ़ाकर 300 रुपये पहुंचना चाहिए। ताकि कंपनियों का निवेश की गई पूंजी पर वाजिब रिटर्न मिल सके। कंपनी का तर्क है कि हेल्दी बिजनस मॉडल (healthy business model) लिए यह जरूरी है। कंपनी ने साथ ही कहा कि एआरपीयू के इस स्तर पर आने से नेटवर्क और स्पेक्ट्रम के लिए जरूरी निवेश मिलेगा। साथ ही इससे कंपनी को देश में 5जी सर्विस शुरू करने के लिए संसाधन मिल सकेंगे। इसलिए कंपनी ने नवंबर में टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया है।

एयरटेल के बाद दूसरी कंपनियां भी टैरिफ दरों में बदलाव कर सकती हैं। खासकर भारी कर्ज से जूझ रही वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) अपनी प्रीपेड दरों को महंगा कर सकती हैं। हालांकि कंपनियों के टैरिफ बढ़ाने से एक बार फिर फोकस क्वालिटी ऑफ सर्विसेज की तरफ शिफ्ट हो सकता है।