अभी अभीः किसान आंदोलन के ‘फूफा’ राकेश टिकैत को तगडे वाला झटका, पंजाब के किसानों ने…

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नई दिल्ली। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा आंदोलन जारी रहेगा या फिर खत्म करने का ऐलान होगा? इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक 1 दिसंबर को होगी। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठनों में फूट की खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि पंजाब से जुड़े संगठन नरम हैं तो राकेश टिकैत आंदोलन जारी रखने पर अड़े हुए हैं। ऐेसे में 1 दिसंबर की बैठक में आंदोलन खत्म करने या फिर जारी रखने पर फैसला होगा।

सोमवार को जैसे ही संसद के दोनों सदनों से तीनों केंद्रीय कानूनों के निरस्त होने की जानकारी सामने आई तो सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पर जमा किसानों के चेहरों पर मुस्कान बिखर गई। इसके बाद पिछले एक साल से जमा किसान प्रदर्शनकारियों ने यहां से घर वापसी शुरू कर दी है। जागरण संवाददाता के मुताबिक, सोमवार को दोपहर बाद से ही टेंटों में रह रहे पंजाब और दूसरी जगहों के किसानों ने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद अनुमति मिलते ही किसान घर वापसी शुरू कर देंगे।

आंदोलन खत्म करने पर जोर दे रहे पंजाब के किसान संगठन

दिल्ली-हरियाणा सिंघु बार्डर पर मौजूद किसानों का कहना है कि अब सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए और केंद्र सरकार द्वारा अन्यों मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया है। ऐसे में धरना प्रदर्शन खत्म कर आंदोलन वापस लिया जाना चाहिए। दरअसल, पंजाब की 32 जत्थेबंदियां भी आंदोलन को खत्म कर घर जाने के पक्ष में हैं। सोमवार को इन्होंने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त होने को अपनी जीत बताकर जश्न मनाया था।

केंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही कृषि कानूनों को वापस ले लिया. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या अब किसान अंदोलन खत्म हो जाएगा. सोमवार को कुछ किसान संगठनों ने इसके संकेत भी दिए थे. लेकिन अब किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर साफ कर दिया है, आंदोलन इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है. वहीं, घर वापसी वाले सवाल पर राकेश टिकैत ने किसान नेताओं से साफ कर दिया है कि जो पहले घर जाएगा, वह पहले जेल भी जाएगा.

राकेश टिकैत ने कहा, जो चुनाव लड़ने के लिए ज्यादा उत्सुक हैं, वह जल्दी जाएगा. वही, जेल भी जाएगा. जब घर में भाई भाई का विचार नहीं मिलता तो यहां पर भी अगर विचार नहीं मिल रहे हैं तो उसमें क्या गड़बड़ है? कुछ लोगों को चुनावी रोग लग जाता है और मैं कहां एफिडेविट दूं कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा. मेरी जुबान ही मेरा एफिडेविट है. मैं चुनाव नहीं लडूंगा. मैं किसानों को लड़वा रहा हूं लेकिन सड़क पर. सरकार में पेच है और अगर मैं फूफा बन गया हूं तो मिलाई तो करवा ही दो.

किसान शादी के चलते भी चाहते हैं जाना

बताया जा रहा है कि पिछले एक पखवाड़े से शादी का सीजन शुरू हुआ है। किसान शादी समारोह में शामिल होने के साथ ही अपनी बेटियों की शादी भी करना चाहते हैं। ऐसे में वे मकसद पूरा होने के साथ घर जाना चाह रहे हैं। यही वजह है कि कई किसानों ने अपना सामान पैक कर ट्रकों में रखना भी शुरू कर दिया है।

आंदोलन जारी रखने पर अड़े किसान

संसद सत्र के पहले ही दिन यानी सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास होने के बावजूद दिल्ली की सीमाओं किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है। यूपी गेट पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि आंदोलन अभी जारी रहेगा। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार चाहती है कि बिना बातचीत किए आंदोलन खत्म हो जाए। देश में कोई आंदोलन या धरना न हो। बातचीत का रास्ता बंद हो जाए। सरकार इस गलतफहमी में न रहे। सरकार से बात किए बिना हम नहीं जाएंगे। सरकार को चाहिए कि बातचीत करके मामला निपटा ले। उन्होंने कहा कि हम सरकार से बात करने को तैयार हैं। सरकार जहां बुलाएगी हम वहां बात करने जाएंगे।