नेपाल में चीन के बनाए ‘भूतिया’ एयरपोर्ट पर नहीं उतरेंगे पीएम मोदी, ड्रैगन को झटके से मचा बवाल

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PM Modi Bhairahawa Airport China: काठमांडू: बुद्ध जयंती पर नेपाल के दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन को बड़ा झटका देंगे। पीएम मोदी भगवान नेपाल में बुद्ध की जन्‍मस्‍थली लुंब‍िनी जाएंगे लेकिन भैरवा में चीन के बनाए नेपाल के दूसरे अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर नहीं उतरेंगे। पीएम मोदी का हेल‍िकॉप्‍टर सीधे लुंबिनी जाएगा जो भैरवा एयरपोर्ट से 18 किमी की दूरी पर है। पीएम मोदी जब लुंब‍िनी जाएंगे, ठीक उसी समय पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा इसी एयरपोर्ट का उद्घाटन कर रहे होंगे। इस पूरे गतिरोध से नेपाल में राजनयिक विवाद छिड़ गया है।

चीन ने भारत की सीमा से मात्र 6 किमी की दूरी पर स्थित भैरवा में अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट बनाया है। करीब 10 साल में 40 अरब नेपाली रुपये से बना यह अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट हर साल 10 लाख यात्रियों को संभालने की क्षमता रखता है लेकिन अभी तक ठीक से मार्केटिंग नहीं कर पाया है। इसी वजह से यह एक ‘भूतिया एयरपोर्ट’ बनकर रह गया है। पीएम मोदी के लिए लुंबिनी में एक हेलिपैड बनाया गया है। लुंबिनी में पीएम मोदी अंतरराष्‍ट्रीय मेडिटेशन सेंटर का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी और देऊबा एक बौद्ध विहार की आधारशिला भी रखेंगे।

चीन के बनाए एयरपोर्ट पर नहीं उतरने से नेपाल में विवाद
पीएम मोदी के चीन के बनाए एयरपोर्ट पर नहीं उतरने से नेपाल में व‍िवाद मचा हुआ है। काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक नागर विमानन मंत्रालय से जुड़े एक पूर्व अधिकारी संजीव गौतम ने कहा कि यह एक राजनयिक असफलता है। उन्‍होंने कहा, ‘जब दो अलग-अलग कार्यक्रम एक ही समय पर और एक ही जगह पर होंगे तो एक कार्यक्रम दब जाएगा।’ गौतम ने कहा, ‘यह नेपाली पक्ष की कमजोरी है। नेपाल की कूटनीति चाहे वह अर्थव्‍यवस्‍था हो या विमानन क्षेत्र हमेशा से ही खराब रही है। हम एक बार फिर से फेल साबित हुए हैं।

नेपाल सरकार के कई अधिकारियों का कहना है कि भारतीय पक्ष से अपील करनी चाहिए कि पीएम मोदी का हेलिकॉप्‍टर लुंबिनी की बजाय भैरवा में नए अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरे। एक नेपाली अधिकारी ने कहा, ‘यह दोनों के लिए फायदेमंद होगा। अगर मोदी लैंड करेंगे और एयरपोर्ट से लुंबिनी की यात्रा करेंगे तो लोग इसे पसंद करेंगे और यह दोनों ही पक्षों को बहुत सकारात्‍मक संदेश देगा।’ बताया जा रहा है कि एयरपोर्ट के उद्घाटन के दौरान कई चीनी अधिकारी भी वहां मौजूद रहेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि शायद यही वजह है कि पीएम मोदी ने एयरपोर्ट से किनारा कर लिया।
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गोरखपुर एयरबेस के पास है नेपाली एयरपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और नेपाल के बीच बुद्ध सर्किट को बढ़ावा देने को लेकर कभी भी आम सहमति नहीं बन पाई है। भारत ने जब बुद्ध सर्किट बनाने के लिए अरबों डॉलर की योजना को शुरू किया, ठीक उसी समय साल 2018 में नेपाल के पूर्व पर्यटन मंत्री रविंद्र अधिकारी चीन की शरण में चले गए थे और ट्रांस-हिमालयन बुद्धिस्‍ट सर्किट बनाने का आइडिया दिया था। दुनियाभर में 45 से 48 करोड़ लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं और इन पर भारत और नेपाल दोनों की नजरे हैं।

नेपाल का भैरवा एयरपोर्ट भारतीय वायुसेना के गोरखपुर एयरबेस के पास ही है और यही वजह है कि भारत भैरवा और नेपालगंज के पास हवाई इलाका खोलने से परहेज कर रहा है। गोरखपुर एयरबेस को भारत ने चीन से टक्‍कर के लिए तैयार कर रखा है और अक्‍सर यहां पर भारतीय लड़ाकू विमान अभ्‍यास करते रहते हैं। भारत के भैरवा एयरपोर्ट को जाने के लिए हवाई रास्‍ता नहीं दिए जाने से एयरलाइन कंपनियों को 300 किमी अतिरिक्‍त जाना पड़ता है।