देश में कड़कड़ाती ठंड ने तोड़े रिकॉर्ड, जानिए सर्दी क्यों ढा रही है इतना सितम

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नई दिल्ली। मुंशी प्रेमचंद की कहानी पूस की रात का किरदार हल्कू जब अपने खेत में ठंड से बचने की तमाम कोशिशों में नाकाम होता है तो जाड़े से बचने के लिए अपने कुत्ते जबरा को खुद से चिपका लेता है. अपने खेत की रक्षा करते करते जब उस हाड़ जमा देने वाली सर्दी में उसकी नींद लग जाती है तो जानते हुए कि खेत में जानवर घुसकर उसकी साल भर की लहलहाती मेहनत को बर्बाद कर रहे, जबरा लगातार उन्हें भगाने की कोशिश कर रहा, फिर भी हल्कू उठ नहीं पाता है. सर्दी उसे उठने नहीं देती है. बल्कि जब सुबह वह बरबाद फसलों के पास अपनी पत्नी को रुदन करते हुए देखता है तो सोचता है कि चलो अच्छा हुआ अब कल से खेत पर सोना नहीं पड़ेगा. इन दिनों उत्तर भारत के बाशिंदे उसी हल्कू की तरह पूस की रात का सितम झेल रहे हैं. इस बार सर्दी जितनी ज्यादा कठोर हुई है उतनी ही लंबी भी है. कड़क सर्दी के दिनों की संख्या ने भी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

पिछले दो दशक में कब पड़ी इतनी सर्दी
दिसबंर 2021 से ही उत्तर, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत क्षेत्र में अधिकतम तापमान लगातार सामान्य से नीचे रहा है, जिसका नतीजा कोल्ड डे यानी शीत दिन हैं. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक शीत दिवस उन दिनों को कहा जाता है, जब अधिकतम तापमान गिरकर 16 डिग्री से नीचे आ जाता है. वहीं 25 जनवरी को अधिकतम तापमान 12.2 डिग्री दर्ज किया गया. ऐसा ही कुछ हाल 26 जनवरी को देखने को मिला. इससे पहले 2003 में ऐसे हाल बने थे जब जनवरी में 19 शीत दिवस रिकॉर्ड किए गए थे. वहीं जनवरी 2015 में 11 दिन, 2010, 2013 और 2004 में 9 शीत दिवस पड़े थे. अभी जनवरी खत्म नहीं हुई है और सर्दी का कहर भी जारी है. खास बात यह है कि ऐसे हाल सिर्फ दिल्ली में नहीं हैं, बल्कि महाराष्ट्र के भी कई इलाके जैसे मध्य महाराष्ट्र, कोंकण, महाबलेश्वर, पुणे, मुंबई, नासिक में भी अधिकतम तापमान सामान्य से 6-8 डिग्री नीचे रहा है.

सर्दी के कहर के पीछे मौसम का खेल तो नहीं
भारत में पड़ने वाली सर्दी और उसकी सघनता पर पश्चिमी विक्षोभ सीधे तौर पर असर डालता है. पूर्व की ओर बहने वाली हवा बारिश या बर्फबारी पर असर डालने में सक्षम होती हैं. 26 जनवरी तक भारत से 7 पश्चिमी विक्षोभ होकर गुजरे, जिसका नतीजा यह रहा कि उत्तरी महाराष्ट्र में तूफान और तमिलनाडु में भारी बारिश देखने को मिली. जैसे ही पश्चिमी विक्षोभ भारत में प्रवेश करता है, उत्तर की ओर से चलने वाली सर्द हवाएं निचले अक्षांश में चलने लगती है जिसका असर तेलंगाना और महाराष्ट्र में देखने को मिला. इसकी वजह से ही मौसम ठंडा और शीतलहर की नौबत आती है. इस साल जनवरी की शुरुआत में भी पश्चिमी विक्षोभ 10 दिनों तक अलग हो गया था, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार में 11 और 20 जनवरी के बीच सर्दी लंबी पड़ गई.

सर्दी पर बारिश का कितना असर
सर्दी के मौसम में बर्फबारी और थोड़ी बहुत बारिश जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में होना सामान्य बात है. लेकिन इस बार जनवरी में पूरे देश भर में बारिश देखने को मिली चाहे फिर मध्य, उत्तर-पश्चिम, उत्तरी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र हो. मिजोरम, त्रिपुरा, गोवा, कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप को छोड़कर पूरे भारत में कहीं ज्यादा तो कहीं बहुत ज्यादा बारिश हुई. दिल्ली में तो इस बार जनवरी में बारिश के मामले में 122 साल का रिकॉर्ड टूट गया. यही नहीं इस बार कोहरा भी आम सर्दियों की तुलना में कम रहा है. आमतौर पर दिल्ली में दिसंबर में 278 घंटे का कोहरा देखने को मिलता है, जिसमें दृश्यता 1000 मीटर से भी कम हो जाती है. ये कोहरे के घंटे 26 दिनों में फैले होते हैं, लेकिन इस बार दिसंबर 2021 में 22 दिनों में महज 75 घंटे ही कोहरा पड़ा, जो 1982 से अब तक सबसे कम था. यही नहीं जनवरी में भी 292 घंटों की तुलना में इस बार 252 घंटे ही कोहरा देखने को मिला, जो 2008 के बाद सबसे कम था.

खेती पर सर्दी का क्या होगा असर
किसानों का कहना है कि कड़क सर्दी और बारिश की वजह से फसल पर फफूंद लग गई है, जिससे बड़े पैमाने पर फसल को नुकसान पहुंचा है. नासिक में अंगूर, मध्य प्रदेश में चना और राजस्थान में सरसों की फसल पर बारिश का बुरा असर पड़ा है.