अभी अभीः राकेश टिकैत से छिनी किसान आंदोलन की ‘कप्तानी’, कमेटी में हो गया ‘खेला’

इस खबर को शेयर करें

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन के अगुवा राकेश टिकैत के साथ खेला कर दिया है। कृषि क़ानूनों के रद्द होने के बाद भी किसान आंदोलन जारी है, राकेश टिकैत आंदोलन को लेकर आक्रमक बयान देते रहे है। इसी संदर्भ में और आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के मक़सद से आज संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक की, लेकिन इस बैठक में राकेश टिकैत के साथ खेला हो गया।

सरकार से बातचीत के लिये गठित की गई कमेटी में राकेश टिकैत का नाम नहीं है, जबकि टिकैत इस आंदोलन के सबसे बडे नेता बनकर उभरे थे। जानकरों का मानना है कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान नेता लखीमपुर मामले के बाद राकेश टिकैत पर भरोसा नहीं कर पा रहे है, इसलिये उनको आंदोलन की इस बडी और निर्णायक जिम्मेदारी से बाहर बिठा दिया गया है। टिकैत के समर्थकों को भी उनका कमेटी में ना होना चौंका रहा है।

किसान आंदोलन को शुरु से देख रहे लोगों को कहना है कि आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा का कोई भी बडा फैसला गाजीपुर बार्डर पर नहीं हुआ, जहां राकेश टिकैत के नेतृत्व में धरना हो रहा है। करनाल में हुए टकराव के समझौते में भी मौके पर मौजूद राकेश टिकैत को वार्ता शामिल नहीं किया गया था, बाकी किसान नेता ही फैसला कर आये थे। अब सरकार के साथ बातचीत करने वाली मुख्य कमेंटी में भी राकेश टिकैत का नाम नहीं है। रात दिन किसानों के लिये आवाज उठाने वाले राकेश टिकैत के समर्थकों को ये ‘अपमान’ जैसा लगा है। जानकारों का कहना कि किसान आंदोलन के नेताओं के बीच जमकर राजनीति चल रही है। लखीमपुर खीरी वाले में मौका मिलने पर राकेश टिकैत ने भी अन्य किसान नेताओं को समझौते से दूर रही रखा था।

बहरहाल सिंघु बॉर्डर पर हुई इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने एक कमेटी का एलान किया है। हालांकि इस कमेटी का ऐलान राकेश टिकैत से ही करवाया गया, लेकिन इसकी पीडा उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी। उन्होंने कहा, “इस समिति में बलबीर सिंह राजाबाल, शिव कुमार काका, अशोक भावले, युद्धवीर सिंह और गुरुनाम सिंह चढ़ूनी शामिल होंगे.“ संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक सात मार्च को होगी। इस बैठक में किसान नेता जोगिंदर सिंह उगरहां ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से मांग करता है कि सरकार उन्हें लिखित में आश्वासन दे.

बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा कि हमारी मांग सिर्फ़ तीन कृषि क़ानूनों को रद्द कराने तक ही सीमित नहीं थी. हमारी मांग एमएसपी पर क़ानून बनाने की भी थी. इसके अलावा बिजली बिल 2020 को रद्द किया जाना दूसरी मांग थी. साथ ही पराली जलाने पर होने वाली कार्रवाई को रोकने की भी हमारी मांग थी. किसान नेताओं ने आंदोलन के दौरान जिन जिन किसानों पर मामले दर्ज हुए उन्हें वापस लेने की मांग भी दोहराई।