संक्रमित बेटे की वृद्ध मां की मौत, घरवालों-आस पड़ोस के लोगों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार

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अररिया। कोरोना के डर ने लोगों के अंदर मानवता को इतना खत्म कर दिया है कि लोग अब रिश्ते , नाते और सामाजिकता का भी बहिष्कार करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसा ही मामला अररिया जिले के फारबिसगंज से सामने आया है, जहां कोरोना संक्रमित बेटे की वृद्ध मां की मौत हो गई तो घरवालों से साथ ही आस पड़ोस के लोगों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया।

राहुल कुमार ठाकुर,अररिया
कोरोना काल में मानवीय और सामाजिक रिश्ते लगातार तार-तार हो रहे हैं। अपनों की मौत पर परिवार के सदस्य और स्वजनों के मुंह मोड़ने की घटना लगातार सामने आ रही हैं। खून के रिश्ते जहां खत्म होते दिख रहे हैं, वहीं आपदा में अवसर बनाने वालों की भी कमी नहीं है। ऐसा ही मामला अररिया जिले के फारबिसगंज से सामने आया है, जहां स्टेशन चौक निवासी अशोक भगत कोरोना संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती हो गए। बेटे के अस्पताल में भर्ती होने के एक दिन बाद ही वियोग में मां ने दम तोड़ दिया।

वृद्ध महिला की मौत के बाद एक दिन तक उसका शव घर में पड़ा रहा। समाज के लोगों के साथ स्वजनों ने भी कोरोना के डर से अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। बाद में नगर परिषद प्रशासन ने पहल की और मौत के दूसरे दिन सुभाष चौक श्मशान घाट पर महिला का अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन आपदा को अवसर मान रहे नगर परिषद के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार का ही सौदा कर डाला।

अंतिम संस्कार करने के लिए मांगे थे 30 हजार
मृतका के एक रिश्तेदार के अनुसार, अंतिम संस्कार करने आए नगर परिषद के कर्मियों ने पंद्रह हजार रुपये लिए। परिजन ब्रजेश कुमार के अनुसार, कर्मियों ने शव का अंतिम संस्कार करने के एवज में 30 हजार रुपये का मांग घरवालों से की थी, लेकिन बाद में 15 हजार रुपये में शव का अंतिम संस्कार किया।

बेटा कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में है भर्ती
85 साल की मृतक महिला बिंदा देवी, पति-स्व. विश्वनाथ भगत का इकलौता पुत्र अशोक भगत बुधवार को कोरोना संक्रमित हो गए। सांस लेने में तकलीफ और कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे अनुमंडल अस्पताल के डेडीकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। घर में दो छोटे पोता और बहू ने वृद्ध मां को पुत्र के संक्रमित होने की जानकारी नहीं दी। बावजूद इसके वृद्ध मां अपने पुत्र को खोज रही थी और फिर बेटे के वियोग में अगले दिन दम तोड़ दिया।

मां की सेवा में कोई कमी नहीं रखता था अशोक
स्थानीय लोगों के अनुसार,अशोक भगत अपनी अपनी मां की सेवा किया करता था। उनकी मां बिंदा देवी विगत दो साल से बीमार थी। पांव की हड्डी टूट जाने के कारण मां की हर जरूरत को अशोक पूरा करता था। बेटे के हाथों से ही वह खाना खाती थीं। किसी भी विकट परिस्थिति में वह अपने मां के पास मौजूद रहता था। बेटे के अस्पताल में भर्ती हो जाने के बाद मां रह-रह कर अपने अशोक को ही खोजती रहती थी। घरवालों के अनुसार, अशोक जिस दिन अस्पताल में भर्ती हुए, उस दिन मां ने खाना खाने से भी इनकार कर दिया था।

अंतिम संस्कार के लिए नगर परिषद के कर्मियों ने आपदा को बनाया अवसर
मृतक महिला के घरवालों के अनुसार, वृद्ध महिला के अंतिम संस्कार के लिए नगर परिषद के कर्मियों ने 15 हजार रुपये लिए। उसके बाद वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार किया। सहरसा निवासी स्वजन ब्रजेश कुमार ने बताया कि बिंदा देवी की मौत के बाद घर में दोनों छोटे बच्चे और बहू ने लोगों से अंतिम संस्कार के लिए गुहार भी की। लेकिन कोरोना के डर से सभी पीछे हट गए। जबकि उनकी जांच नहीं हुई थी, वह दो साल से बीमार थीं। ऐसी स्थिति में नगर परिषद कर्मियों से उनकी बात हुई, जिस पर अंतिम संस्कार के लिए पहले 30 हजार रुपये की डिमांड की गयी। लेकिन बाद में 15 हजार रुपये लेने के बाद नगर परिषद के कर्मियों ने अंतिम संस्कार किया।

नगर परिषद के ईओ ने मामले की जांच के बाद कार्रवाई का दिया आश्वासन
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जयराम प्रसाद ने इस मामले पर कहा कि नगर परिषद के कर्मियों पर रुपये लेकर अंतिम संस्कार करने का जो आरोप लगा है, उसकी जांच कराएंगे। जांच में अगर बात सही साबित होती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।