Bihar: नीतीश ने आरसीपी को IAS से नेता बनाया, अब उन्हें ही क्यों खत्म करना चाह रहे? जानें इसके पीछे की राजनीति

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पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह मुश्किल में फंस गए हैं। उन्हें अपनी ही पार्टी जेडीयू ने नोटिस थमा दिया है। आरोप है कि राज्यसभा सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री रहते हुए आरसीपी सिंह ने अकूत अचल संपत्ति बनाई है। वह भी गलत तरीके से। राज्यसभा की सदस्यता खत्म होने पर पिछले महीने ही आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह में पिछले कुछ समय से काफी खटास बढ़ गई थी। यही कारण है कि मंत्री पद जाते ही खुद की पार्टी से इतने बड़े आरोप लगने पर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं। कहा जाने लगा है कि जेडीयू में कुछ लोग हैं, जो आरसीपी सिंह की राजनीति खत्म करना चाहते हैं। आइए समझते हैं पूरी सियासत…

आरसीपी सिंह बिहार के नालंदा जिले से आते हैं। यहीं छह जुलाई 1958 में उनका जन्म हुआ था। सिंह यूपी कैडर के आईएएस अफसर रहे हैं। वह पहली बार 1996 में नीतीश कुमार के संपर्क में तब आए जब वो तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव थे। नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच दोस्ती इसलिए भी गहरी हुई क्योंकि दोनों ही बिहार के नालंदा से हैं और एक ही जाति से आते हैं।

नीतीश कुमार जब केंद्र सरकार में मंत्री बने तो आरसीपी सिंह को अपने साथ ले आए। नीतीश कुमार रेलमंत्री बने थे तो आरसीपी सिंह को विशेष सचिव बनाया। नवंबर 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह को साथ लेकर बिहार भी आए और प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद आरसीपी की जेडीयू में पकड़ मजबूत होने लगी। 2010 में आरसीपी सिंह ने वीआरएस लिया, फिर जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित कर दिया। 2016 में पार्टी ने उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा। 2020 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया।

2021 में जब केंद्र में मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ तो आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री बना दिए गए। उन्हें इस्पात विभाग का मंत्री बनाया गया था।