नांदेड़ : वैसे देखा जाए तो करेला कड़वा होता है, लेकिन कड़वा करेला से होने वाली आमदनी से किसान की जिंदगी मीठी हो गई है. खैरगाव के किसान ज्ञानेश्वर जाधव ने केवल आधा एकड़ जमीन में छह महीने पहले कड़वा करेला लगाया. पहले दिन एक क्विंटल कड़वा करेला निकालकर बाजार में बेचा तो 5000 रुपए मुनाफा मिला. दूसरे दिन 3 क्विंटल काटा गया और फिर 5 क्विंटल बाजार में बिक्री के लिए ले जाया गया.
करेले का सीजन चार महीने का होता है. हफ्ते में करेला तीन बार तोड़ते हैं. इस बात की जानकारी किसान जाधव ने दी है. अर्धपुर तहसील के खैरगाँव के किसान ज्ञानेश्वर जाधव ने करेले की खेती की है और इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. अब तक वे इसे तीन बार काट चुके हैं और 10 से 12 बार काटने की संभावना है. अधिकतर बाजार में ये 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. आधा एक्कड़ में पचास हज़ार लागत से चार से पांच लाख रुपये तक की कमाई होती है.
अर्धपुर तहसील इसापुर बांध के लाभ क्षेत्र में होने के कारण अधिकांश किसानों का रुझान बड़ी फसलों की तरफ होता है. किसान ज्ञानेश्वर जाधव का झुकाव पिछले कई सालों से सब्जी की फसल की तरफ रहा है और इस साल उन्होंने कड़वा करेला, गोभी, मिर्च, बैंगन आदि फसलों की खेती की है और वे खुद बाजार जाकर सब्जियां बेचते हैं. ज्ञानेश्वर जाधव ने कहा है कि उन्हें ज्यादा पैसा इसलिए मिलता है क्योंकि वह खुद बाजार में सब्जियां बेचते हैं.
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कड़वा करेला फायदेमंद होता है और बहुत से लोग इसे सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं और इसके रस को औषधि के रूप में भी लेते हैं. इसके औषधीय गुणों के कारण बहुत से लोग इसका सेवन करते हैं. इस वजह से खैरगांव के ज्ञानेश्वर जाधव किसान हमेशा कड़वा करेला की उपज करते हैं. इससे ज्यादा मुनाफा मिलता है.