शिमला: हिमाचल प्रदेश में ‘ओम प्रकाश शर्मा’ ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेताओं की नींद उड़ा रखी है। मजे की बात यह है कि यह कोई इंसान नहीं बल्कि एक कोड वर्ड है। जिसका इस्तेमाल हिमाचल के कर्मचारियों ने भाजपा को सबक सिखाने के लिए किया। असल में कर्मचारियों के इस ओमप्रकाश शर्मा का मतलब OPS यानी ओल्ड पेंशन स्कीम है। कोड ऑफ कंडक्ट लगा था तो सर्विस रूल्स से बंधे कर्मचारी सीधे विरोध नहीं कर सकते थे, इसलिए यह कोड वर्ड निकाला। इस कोड के जरिए वह इलेक्शन कमीशन की किसी तरह की कार्रवाई से भी बच गए।
हिमाचल में कर्मचारियों की ताकत
हिमाचल में 2003 के बाद से भर्ती कर्मचारी नॉन पेंशन स्कीम (NPS) के दायरे में है। राज्य में NPS कर्मचारियों का आंकड़ा 1.30 लाख से ज्यादा हो चुका है। इनमें से 12 हजार से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो गए हैं, जिन्हें पेंशन नहीं मिली है।
असल में पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन हुआ थाा। उस वक्त ‘जोइया मामा मानदा नहीं, कर्मचारियों री शुंनदा नहीं’ नारा देने वाले टीचर का नाम भी ओम प्रकाश शर्मा ही है। जिसे CM जयराम ठाकुर की अगुआई वाली BJP सरकार ने दूरदराज के स्कूल में पटक दिया। हालांकि तब हाईकोर्ट ने ओम प्रकाश शर्मा को राहत देते हुए पसंदीदा स्कूल में जॉइनिंग देने को कहा था।
भाजपा पहले ही चिंतित थी, इसलिए PM का दांव खेला
हिमाचल में OPS भाजपा की टेंशन बनेगी, इससे राज्य के नेता भी वाकिफ थे। यही वजह है कि उन्होंने 12 में से 8 जिलों में ही PM नरेंद्र मोदी की एंट्री करवा दी। PM मोदी ने चुनाव से पहले और बाद में इन्हीं 8 जिलों में प्रचार किया।
हिमाचल में कांग्रेस की सबसे बड़ी उम्मीद यही 1.30 लाख कर्मचारी और उनका परिवार है। यही वजह है कि कांग्रेसी 8 दिसंबर की मतगणना का इंतजार किए बगैर ही CM कुर्सी की जोड़तोड़ में लग गए हैं। यही नहीं, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने तो यहां तक दावा कर दिया कि वह राहुल गांधी को शपथग्रहण का न्योता दे आए हैं।
वहीं कर्मचारियों के रोष को भांपते हुए कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी ने भी सरकार बनने पर कर्मचारियों को OPS बहाल करने का भरोसा दिया है। कांग्रेस ने तो अपनी 10 गारंटियों में OPS को पहली गारंटी बनाया है। कांग्रेस को इसका फायदा भी मिलता दिख रहा है, लेकिन BJP चाहकर भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल पाई।