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लखनऊ। अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए भाजपा जोखिम वाली लोक सभा सीटों के लिए नए सिरे से किलेबंदी करने में जुट गई हैं। पार्टी ने आंतरिक सर्वे के आधार पर ऐसी 18 अधिक चुनौतीपूर्ण सीटों को चिन्हित करते हुए उन्हें रेड जोन में रखा है।
वर्ष 2014 और 2019 के लोक सभा चुनावों के परिणामों और संभावित खतरे के आधार पर पार्टी इन सीटों को जीतने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी ने रेड जोन में बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, बदायूं, मैनपुरी, फिरोजाबाद, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, रायबरेली, आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, घोसी, गाजीपुर लोक सभा सीटों को रखा है।
पिछले साल हुए उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर सीटें जीतने के बावजूद भाजपा के कब्जे से अभी 14 लोक सभा सीटें बाहर हैं। इन 14 सीटों में से बिजनौर, सहारनपुर, नगीना, रामपुर, संभल, अमरोहा, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर, लालगंज, जौनपुर, घोसी सीटें भाजपा ने 2014 में जीती थीं लेकिन 2019 में हार गई। वहीं 2014 में हारी बदायूं और फिरोजाबाद सीटें उसने 2019 में जीत लीं।
उपचुनाव में रामपुर और आजमगढ़ जैसे सपाई किलों को ध्वस्त करने के बावजूद पार्टी इन सीटों को लेकर आश्वस्त नहीं है। इन 18 में से कई लोक सभा क्षेत्रों में नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। अगले लोक सभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा को रेड जोन की इन 18 सीटों पर विशेष रूप से फोकस कर रही है।
आंतरिक सर्वे में भाजपा ने पाया है कि श्रावस्ती और अंबेडकरनगर जैसी सीटों पर पिछले लोक सभा चुनाव में जाति विशेष के प्रत्याशी उतारने पर दूसरी जाति में तीव्र प्रतिक्रिया हुई और उनके उम्मीदवार जीत गए। लिहाजा भाजपा अब रेड जोन की सभी सीटों पर कमजोर कडिय़ों को चिन्हित कर उनका निदान करने के साथ ही इन सीटों पर जीत पक्की करने के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार करने में लगी है।