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छिंदवाड़ा: एक तरफ बीजेपी हरियाणा में मिली जीत का जश्न मना रही थी। वहीं, दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से ऐसी खबर आई कि सबके चेहरे उतर गए। दरअसल मामला कमलनाथ के गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा जिले का है।
औंधे मुंह गिरा अविश्वास प्रस्ताव
नगर निगम अध्यक्ष सोनू मागो के खिलाफ भाजपा द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव आज अग्निपरीक्षा के दौरान औंधे मुंह गिर गया। भाजपा समर्थित पार्षदों के द्वारा सदन में क्रॉस वोटिंग भी की गई, जिसके चलते जिले में हताशा के दौर से गुजर रही कांग्रेस को संजीवनी के रूप में जीत का जश्न मनाने का मौका भी दे दिया।
कलेक्टर के नेतृत्व में शुरु हुई कार्रवाई
नगर निगम अध्यक्ष सोनू मागो के खिलाफ भाजपा द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर नगर निगम सभाकक्ष में सुबह 11 बजे से कार्रवाई शुरु हुई। पीठासीन अधिकारी कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के नेतृत्व में यह कार्रवाई आरम्भ की गई। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद बारी आई मतदान की, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 21 पार्षदों ने वोट दिया। वहीं, अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 27 पार्षदों द्वारा वोट दिया गया।
ये है आधिकारिक आंकड़ा
चूंकि नगर निगम में कुल 48 पार्षद हैं। दल बदल के बाद वर्तमान में भाजपा के 34, तो वहीं कांग्रेस के 14 पार्षद बचे थे। आज की प्रक्रिया के दौरान सदन में 47 पार्षद मौजूद थे। वहीं, 1 पार्षद वार्ड नं 4 के उदय सिंह पटेल दुर्घटनाग्रस्त होने के चलते सदन में मौजूद नही थे। भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव पास करवाने के लिए सदन में मौजूद मतदाताओं के दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी।
बीजेपी के वोट भी कांग्रेस के पक्ष में
यहां दो तिहाई बहुमत तो छोड़िए, भाजपा सदन में मौजूद अपने ही पूरे पार्षदों के मत हासिल नही कर पाई। मतदान की प्रक्रिया के दौरान 47 पार्षद और महापौर विक्रम अहाके ने वोट दिया, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ कांग्रेस ने 21 मत प्राप्त कर लिए, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 14 वोट थे। ऐसे में भाजपा के 7 क्रॉस वोट कांग्रेस की झोली में चले गए।
खुलकर सामने आई गुटबाजी और ओवर कॉन्फिडेंस
अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में भाजपा को केवल 27 वोट मिले जबकि सदन में भाजपा के महापौर को मिलाकर 34 वोटर मौजूद थे। इस प्रकार भाजपा द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव सदन में वोटिंग के दौरान औंधे मुंह गिर गया। जिले में हताशा के दौर से गुजर रही कांग्रेस को इस जीत ने जहां कई दिनों बाद जश्न मनाने का मौका दिया है। वहीं, सोनू मागो का कद भी इस जीत के बाद और अधिक बढ़ गया है। इसके साथ ही भाजपा की जल्दबाजी, ओवर कॉन्फिडेंस और गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आई है।