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लखनऊ। परदेस में बसे यूपी वाले अब अपने पैतृक गांव में अपने परिजनों, पुरखों की याद में सामुदायिक केन्द्र, बारात घर और ऐसे ही अन्य निर्माण कार्य करवा सकेंगे। ऐसे निर्माण पर आने वाली कुल लागत का 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार वहन करेगी, 60 फीसदी खर्च उस परदेसी को खुद वहन करना होगा।
निर्माण पूरा होने के बाद उस भवन व अन्य अवस्थापना विकास कार्य पर परदेसी की इच्छा से उसका, उसके परिजन या पुरखे आदि का नाम अंकित करवाया जाएगा। काफी लम्बे समय से प्रस्तावित पंचायतीराज विभाग की इस उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में शुभारम्भ करेंगे।
प्रदेश के पंचायतीराज निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार उ.प्र.से बड़ी संख्या में लोग ग्रामीण परिवेश से निकल कर देश के विभिन्न शहरों व राज्यों तथा विदेश में निवासरत हैं और कार्यरत हैं। ऐसे लोग उ.प्र.के अपने पैतृक गांव के विकास में सहयोग प्रदान करना चाहते हैं मगर पूर्व में कोई व्यवस्था न होने की वजह से वांछित सहयोग प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।
ये होंगे प्रावधान
योजना के तहत अगर कोई व्यक्ति,निजी संस्था किसी ग्राम पंचायत में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा का विकास और पंचायतीराज अधिनियम की धारा 15 के तहत अनुमन्य कार्य करवाना या करना चाहते हैं और कार्य की लागत का न्यूनतम 60 प्रतिशत धनराशि दान स्वरूप वहन करने के इच्छुक हैं तो राज्य सरकार बाकी 40 फीसदी लागत लगाएगी।
कार्य पूरा होने के बाद राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आकार व प्रकार शिलापट्ट सहयोग करने वाले व्यक्ति या संस्था के प्रस्ताव के अनुसार अथवा उक्त भवन या अवस्थापना सुविधा के ऊपर लगवाया जाएगा।