सहारनपुर। मुख्यमंत्री के आदेश पर सदर बाजार थाने में दो दारोगा समेत चार लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है। आरोप है कि एक दारोगा ने पीड़ित के फर्जी हस्ताक्षर करने के बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और दूसरे दारोगा ने झूठे बयान दिए थे, जबकि पीड़ितों के हस्ताक्षर कराए ही नहीं गए थे।
हस्ताक्षरों की गाजियाबाद लैब में जांच हुई तो वह फर्जी पाए गए थे। जनकपुरी थानाक्षेत्र के मंजुलिका गार्डन निवासी मनीष कुमार ने बताया कि उनका अपने चाचा चंद्रशेखर टक्कर व नवीन उर्फ भूप्पा टक्कर से एक प्रापर्टी का विवाद चल रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मनीष का आरोप है कि वर्ष 2017 में चंद्रशेखर और नवीन ने एक मुकदमा सदर बाजार थाने में उसके और उसके भाई संजीव के खिलाफ दर्ज कराया था। जांच के बाद विवेचक ने एफआर लगा दी। इसके बाद चंद्रशेखर और नवीन ने पुलिस से मिलीभगत कर एफआर लगे मामले को विवेचना बताकर मुजफ्फरनगर ट्रांसफर करा लिया तथा इसमें फर्जी फोटोस्टेट रसीद बनाकर मनीष और संजीव को जेल भिजवा दिया। जेल जाने के बाद चंद्रशेखर और नवीन ने मनीष और उसके भाई संजीव के खिलाफ एक और झूठी एनसीआर सदर बाजार में दर्ज करा दी। दारोगा दीपक चौधरी ने झूठी घटना बताकर एफआर लगा दी। बाद में उक्त एनसीआर पर कोर्ट ने दोबारा जांच के आदेश दिए थे। मनीष के मुताबिक दारोगा दीपक चौधरी ने उसके और भाई संजीव के फर्जी हस्ताक्षर कर कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। केस डायरी में मुजफ्फरनगर जिले में क्राइम ब्रांच में तैनात दारोगा एनपी सिंह के झूठे बयान दर्ज करा गए थे। बयानों और हस्ताक्षर की जांच डीआइजी सहारनपुर ने एसपी क्राइम मुजफ्फरनगर को सौंपी थी। एसपी क्राइम ने हस्ताक्षर की जांच फोरेंसिक लैब गाजियाबाद से कराई तो हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। इसके बाद मनीष मुख्यमंत्री से मिले थे। मुख्यमंत्री ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। सदर बाजार थाना प्रभारी हरेंद्र सिंह ने बताया कि दारोगा एनपी सिंह, दीपक चौधरी और चंद्रशेखर व नवीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दीपक चौधरी अब मुजफ्फरनगर में तैनात है और एनपी सिंह पहले से ही मुजफ्फरनगर में है।