कैदी को मॉल ले जाने का मामला : नई व्यवस्था लागू, अब दो पुलिसकर्मी कैदी को हवालात से कोर्ट ले जाएंगे

Case of taking the prisoner to the mall: new system implemented, now two policemen will take the prisoner from the lock-up to the court
Case of taking the prisoner to the mall: new system implemented, now two policemen will take the prisoner from the lock-up to the court
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लखनऊ: पेशी पर आए बंदी को कचहरी के लॉकअप से संबंधित कोर्ट तक ले जाने और वापस लाने में अब हर बंदी के साथ दो पुलिसकर्मी रहेंगे। अभी तक एक बंदी को एक पुलिसकर्मी ही कोर्ट तक ले जाता और वापस लाता था। यह व्यवस्था करवाने के साथ ही पश्चिमी क्षेत्र के पुलिस अफसरों ने शुक्रवार को कोर्ट परिसर में गहन छानबीन की और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया।

जिला जेल से पेशी पर आने वाले बंदियों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी परखने एडीसीपी पश्चिमी चिरंजीव नाथ सिन्हा शुक्रवार को कोर्ट पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले कोर्ट के लॉकअप में बंदियों को रखे जाने की व्यवस्था देखी। वहां से संबंधित कोर्ट में ले जाए जाने की व्यवस्था परखने के बाद उन्होंने निर्देश दिया कि जेल से लाए जाने वाले बंदी जेल वाहन से लॉकअप में पहुंचा दिया जाएगा। उसके बाद लॉकअप से संबंधित कोर्ट तक जब बंदी ले जाया जाएगा तो उसके साथ दो पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।

दोनों पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी लॉकअप से कोर्ट तक पहुंचाने और कोर्ट में पेशी करवाकर उसे वापस लॉकअप तक सकुशल पहुंचाने की रहेगी। इसके लिए रिजर्व पुलिस लाइंस से अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। यह व्यवस्था शनिवार से लागू कर दी जाएगी। लॉकअप का मुआयना करने के बाद एडीसीपी ने कोर्ट परिसर में मातहतों के साथ घूमकर वहां का जायजा लिया। संदेह के आधार पर उन्होंने लॉकअप के आसपास के चैंबरों की भी निगरानी की।

फरारी और मौज रोकने के लिए सख्ती
जेल से मेडिकल के लिए आए बंदी ऋषभ राय को मॉल घुमाने का मामला एनबीटी अखबार ने गुरुवार को ‘मेडिकल के लिए आया बंदी घूम रहा था मॉल’ शीर्षक से प्रकाशित किया था। एनबीटी की खबर का संज्ञान लेकर डीसीपी मुख्यालय पीके तिवारी ने बंदी की अभिरक्षा में लगे चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था। पेशी और मेडिकल पर आने वाले बंदियों की फरारी और उनके मौज मस्ती के मामलों की रोकथाम के लिए पुलिस ने शुक्रवार को कोर्ट परिसर में छानबीन की। सूत्रों का कहना है कि पुलिस को यह भी सूचना मिली थी कि पेशी पर आए बंदी कुछ खास स्थानों पर रुकते हैं, लिहाजा ऐसे स्थानों पर भी पुलिस ने छानबीन की।

गेटों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की हुई चेकिंग
पुलिस ने दीवानी कचहरी के साथ पुराने हाई कोर्ट के सभी गेटों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की। एडीसीपी ने बताया कि कैमरों की कनेक्टिविटी सही पाई गई। इसके साथ वे सही एंगल पर लगे पाए गए। उन्होंने सीसीटीवी कैमरों के मॉनीटरिंग सिस्टम को भी परखा। वह भी सुचारु रूप से काम करता पाया गया। गेटों पर तैनात पुलिसकर्मियों व होमगार्ड्स के बारे में भी एडीसीपी ने छानबीन की और उन्हें अलर्ट रहने के निर्देश दिए।

अधिवक्ताओं ने मदद का दिया आश्वासन
एडीसीपी ने सेंट्रल बार असोसिएशन के अध्यक्ष सुनील द्विवेदी के साथ कोर्ट परिसर में छानबीन की। सेंट्रल बार असोसिएशन के पदाधिकारियों से उन्होंने व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के लिए सहयोग भी मांगा। उनका कहना था कि कई बार अराजकतत्व अधिवक्ता के भेष में आ जाते हैं। ऐसे लोगों को असोसिएशन के पदाधिकारी ही पहचान सकते हैं। इसलिए उन्होंने असोसिएशन के पदाधिकारियों से सहयोग मांगा और उनके साथ कई चैंबरों में भी गए।