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रायपुर। ठंड के शुरू होते ही लकवा तथा ब्रेन हेमरेज के केस में बढ़ोतरी होती है। न्यूरो सर्जन डा. सीएस साहू का कहना है कि लोगों को सही तरीके से स्नान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग स्नान करने के दौरान सर्वप्रथम सीधे सिर में पानी डालते हैं, जिसके चलते ब्रेन की नसे सिकुड़ जाती हैं। इससे ब्रेन हेमरेज तथा लकवे का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में लोगों को सबसे पहले स्नान करते समय पानी अपने पैरों में डालना चाहिए, इसके बाद धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्से और अंत में सिर में पानी डालना चाहिए। डा. साहू के अनुसार कोरोना काल के बाद वैसे भी लोगों की इम्युनिटी पावर कम हुई है, जिसके चलते लोग इसके शिकार होते चले जा रहे हैं। लकवा तथा ब्रेन हेमरेज का सही समय पर उपचार हो तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
पैरालिसिस या लकवा मांसपेशियों की कार्यक्षमता का खत्म हो जाना होता है। यदि मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच सही तालमेल नहीं होता तो लकवे की स्थिति पैदा होती है। यह पूर्ण या आंशिक हो सकता है और शरीर के एक या दोनों हिस्सों को प्रभावित कर देता है। लकवा दो प्रकार के होते हैं- एक नसों के चोक होने से होता है, जिसमें खून को पतला करने की दवा दी जाती है। इसका दूसरा प्रकार नसों में लीक होने की वजह से होता है, जिसको ब्रेन हेमरेज भी कहते हैं। इसमें यदि खून को पतला करने की दवा दी जाए तो वह नुकसानदायक होता है। इसलिए दोनों के इलाज में अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं।
कई लोग लकवे के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं, जिसके कारण उनके उपचार में देरी होती है। न्यूरोलाजिस्ट के मुताबिक लकवे के लक्षण दिखने पर साढ़े चार घंटे के भीतर डाक्टर को दिखाएं। मस्तिष्क में बनने वाले थक्कों के कारण की रक्त वाहिनियों में रुकावट आ जाती है। साढ़े चार घंटे के भीतर अगर विशेष तरह का इंजेक्शन लग जाता है, तो यह रुकावट खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज की रिकवरी 48 से 72 घंटे में हो पाती है। कई बार देरी होने पर ब्रेन हेमरेज की आशंका बढ़ जाती है।
ऐसे रखें खुद का ख्याल
ठंड के कारण हार्ट एवं ब्रेन की नसों में सिकुडऩ पैदा होती है। ऐसे में रक्त संचार प्रभावित होता है। वर्तमान में प्रदेश के मौसम में काफी उतार-चढ़ाव जारी है। ऐसे में हार्ट के मरीजों को काफी सावधान रहने की जरूरत है। खासकर बुजुर्ग मरीजों को नियमित रूप से बीपी की दवा लेनी चाहिए। फिलहाल घर के अंदर ही योगाभ्यास करने जरूरत है। धूप निकलने पर ही घर से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए।