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नई दिल्ली। देश का एक वर्ग कोविड के वक्त को जारी रखने के खिलाफ मुखर है। यह मामला अदालत तक पहुंच चुका है। दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। आज हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई। इस मौके पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए याचिकाकर्ता पर निशाने पर लिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सेंट्रल प्रॉजेक्ट कोरोना का निर्माण कार्य कोरोना गाइडलाइंस के तहत हो रही है।
मेहता ने कहा, “जिन्हें सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पसंद नहीं है या वे उसके खिलाफ हैं, किसी भी वजह से, वे लोग तरह तरह के रूप धर के अदालतों में आ रहे हैं। इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि जब शादियों में 50 लोगों के जमा होने की, अंतिम संस्कारों में 20 से ज्यादा लोगों के होने और ट्रांसपोर्ट 50 फीसदी क्षमता के साथ चलने की इजाजत है, उसी तरह ऐसे निर्माण कार्यों को भी जारी रहने की इजाजत है जहां पर मजदूर साइट पर ही रहे हों।”
उन्होंने दावा किया कि साइट पर 250 मजदूरों के रहने की व्यवस्था है जो काम करने के लिए तैयार हैं। मेहता ने कहा, “मजदूरों के लिए वहीं पर आरटीपीसीआर टेस्ट समेत तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं।” एसजी मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता का जनहित बहुत ही सिलेक्टिव है, उन्हें दूसरे प्रॉजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों की कोई परवाह नहीं है, जो शायद इससे 2 किलोमीटर दूरी पर ही चल रहे हैं।
उन्होंने बताया कहा, डीएमआरसी के प्रॉजेक्ट हैं, डीडीए के हाउसिंग प्रॉजेक्ट हैं, लेकिन इनसे किसी को कोई मतलब नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।