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बागपत। जयंत चौधरी बागपत सीट से चारू चौधरी को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह खुद चुनाव लड़ने की बजाय राज्यसभा सदस्य बने रह सकते हैं। दादा और पिता की कर्मभूमि होने के कारण चारू को चुनाव में उतारने की सबसे ज्यादा उम्मीद जताई जा रही है।
भाजपा के साथ रालोद के गठबंधन की औपचारिक घोषणा हो चुकी है और रालोद के पास बिजनौर व बागपत सीट गई है। ऐसे में दोनों सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी उतारने के लिए मंथन शुरू हो गया है।
अभी तक माना जा रहा था कि रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह खुद बागपत सीट से चुनाव लड़ेंगे। मगर वह खुद राज्यसभा सदस्य बने रह सकते हैं और पत्नी चारू चौधरी को बागपत से चुनाव मैदान में उतार सकते हैं।
बागपत लोकसभा सीट पर वर्ष 1998 को छोड़कर 2014 तक लगातार चौधरी चरण सिंह परिवार का कब्जा रहा है। वर्ष 1977 में चौधरी चरण सिंह पहली बार यहां से लोकसभा चुनाव लड़कर जीत दर्ज करते रहे। उनके बाद वर्ष 1989 में उनके बेटे चौधरी अजित सिंह ने यहां से जीत दर्ज की तो वह 1997 तक सांसद रहे।
वर्ष 1998 में जरूर उलटफेर हुआ और सोमपाल शास्त्री ने उनको हरा दिया। इसके बाद वर्ष 1999 में हुए चुनाव में चौधरी अजित सिंह ने फिर जीत दर्ज करते हुए वर्ष 2014 तक लगातार कब्जा जमाए रखा। उसके बाद भाजपा के डॉ. सत्यपाल सिंह ने उनको हराया और यह सीट दो बार से लगातार भाजपा के पास है।
इस तरह ज्यादातर इस सीट पर जयंत के परिवार का कब्जा रहा और इसलिए ही बागपत को उनकी पैतृक सीट माना जाता है। इसको देखते हुए यहां से जयंत अपनी पत्नी चारू चौधरी को चुनाव में उतार सकते हैं।
रालोद नेताओं के अनुसार अगर चारू चुनाव नहीं लड़ती हैं तो यहां से किसी पुराने जाट नेता को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। रालोद में फिलहाल इस पर ही मंथन शुरू हो गया है।
बिजनौर से गुर्जर पर खेल सकते हैं दांव
रालोद के खाते में दूसरी सीट बिजनौर लोकसभा है। वहां के प्रत्याशी को लेकर भी मंथन शुरू हो गया है। यह माना जा रहा है कि बागपत सीट पर गुर्जर वोटर काफी है तो बिजनौर सीट पर भी काफी गुर्जर वोटर हैं।
ऐसे में बागपत से जाट प्रत्याशी को उतारने के साथ ही बिजनौर से गुर्जर पर दांव खेला जाएगा। जिससे दोनों सीटों पर गुर्जरों को साधा जा सके।