छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों की सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकराया, जानें क्‍या हैं शर्तें

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों के सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने सरकार से वार्ता से पहले जेल में बंद साथियों की रिहाई, बस्तर में फोर्स के आपरेशन को बंद करने सहित कई मांगें रखी हैं। सरगुजा के प्रतापपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास व्यक्त करें, फिर उनसे किसी भी मंच पर बात की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राज्य सरकार की योजनाओं ने आदिवासियों का दिल जीता है। अब वहां सड़कें बनाने और कैंप खोलने की मांग लोग कर रहे हैं। राज्य सरकार की नीति से अब नक्सली एक छोटे से क्षेत्र में सिमटकर रह गए हैं। वहीं, दिल्ली दौरे से लौटे गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात को दोहराया है। साहू ने कहा कि नक्सली संविधान पर भरोसा रखें और बिना किसी शर्त के बातचीत के लिए आगे आएं।

नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर वार्ता के लिए अपनी शर्तें रखी थीं। विकल्प ने कहा कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं, बस सरकार अनुकूल वातावरण तैयार करे। मुख्यमंत्री बघेल माओवादी पार्टी, पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) और अन्य संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों को पहले हटाएं। हवाई हमले बंद करें। बस्तर में स्थापित कैंप और फोर्स को वापस भेजें। बातचीत के लिए जेलों में बंद नक्सल नेताओं को रिहा किया जाए। इसके अलावा बातचीत के लिए मुख्यमंत्री अपनी राय स्पष्ट करें।

इस बीच, सरकार के रणनीतिकारों ने नक्सलियों के वार्ताकारों को साफ संदेश दे दिया है कि जब तक बस्तर में नक्सली हमले पूरी तरह बंद नहीं हो जाते, सरकार नक्सलियों की किसी भी बात को नहीं मानेगी। फोर्स के आपरेशन के कारण बस्तर में नक्सली वारदात में कमी आई है। फोर्स ने नक्सलियों को एक छोटे से हिस्से में समेटने का काम किया है। इससे नक्सली संगठन में बौखलाहट है। यही कारण है कि नक्सली अंदरूनी इलाकों के पुलिस कैंप को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। बड़ी संख्या में नक्सल समर्थकों ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे उनका कैडर कमजोर हुआ है।

गृह विभाग ने कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माओवादी) और उसके छह सहयोगी संगठनों दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संघ, क्रांतिकारी आदिवासी महिला संघ, क्रांतिकारी आदिवासी बालक संघ, क्रांतिकारी किसान कमेटी, महिला मुक्ति मंच और जनताना सरकार को एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इन संगठनों पर सख्ती के माध्यम से पुलिस की कोशिश नक्सलियों के कैडर में भर्ती को रोकना है।