छत्तीसगढ़ में मून लाइट कैंपिंग की शुरुआत:​​​​​​​ चित्रकोट वाटर फॉल में चांदनी रात का मजा, एडवेंचर और इंटरटेंमेंट

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चित्रकोट: एशिया का नियाग्रा कहे जाने वाले बस्तर के चित्रकोट वाटरफाल का मजा अब चांदनी रात में भी लिया जा सकेगा। सबसे खास है 90 फीट की ऊंचाई से गिरते पानी के नीचे बोटिंग का मजा। इसके साथ ही है एडवेंचर और ढेर सारा एंटरटेंनमेंट। यह सब कुछ 16 मई की रात इंद्रावती नदी के तट पर साकार हो गया। इंद्रावती नदी के पास नाइट कैंप लगाए गए और पर्यटक इसका मजा ले रहे थे। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में मून लाइट कैंपिंग की शुरुआत हो गई है। दिन में ऊंचाई से गिरते झरने को अब चांदनी रात में निहारना और उसके किनारे बसेरा रोमांच पैदा करने वाला है। पहले दिन 53 पर्यटक इस एडवेंचर और एक्टिविटी के साक्षी बने। इस पूरी एक्टिविटी के दौरान दैनिक भास्कर की टीम भी मौजूद रही। जो पहली बार अपने पाठकों के लिए इस खास पल की तस्वीरें, खबर और वीडियो लेकर आई है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल और जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से इस एक्टिविटी की शुरुआत की है।

आदिवासी नृत्य के साथ पर्यटकों का वेलकम
शाम करीब 6 बजे पर्यटन मंडल के रिसोर्ट परिसर में बने ओपन थियेटर में आयोजन की शुरुआत हुई। एक-दूसरे से परिचय के बाद पर्यटकों की अलग-अलग टीम बनाकर कई प्रतियोगिताएं कराई गईं। इसके बाद शाम 7 बजे से आदिवासी नृत्य शुरु हुआ तो पर्यटकों के कदम भी उनकी धुनों पर थिरकने लगे। वेलकम का यह दौर खत्म हुआ तो आगे एडवेंचर इंतजार कर रहा था। रात 8 बजे सभी को पीली टी-शर्ट दी गई। जिस पर छत्तीसगढ़ पर्यटन का प्रचार था।

फिर शुरू हुआ पर्यटन और एडवेंचर का खूबसूरत मिश्रण। सभी पैदल सीढ़ियों से इंद्रावती नदी के पास पहुंचे। अंधेरा था। जीव-जंतुओं का डर था, लेकिन पर्यटन मंडल, अनएक्सप्लोर बस्तर और ग्रामीण युवाओं की टीम पर्यटकों को रोशनी दिखाते हुए हौसला बढ़ा रही थी। वाटर फाल के नीचे नाव तैयार थी। एक-एक कर सभी को लाइफ जैकेट पहनाई गई और 12-12 की संख्या में नाव में सवार हो गए। सभी को वाटर फाल के ठीक नीचे लेकर गए, तो पानी की बौछारों ने नई ताजगी ला दी। इस वक्त ठीक ऊपर चंद्रमा अपने पूरे शबाब पर था। नदी पार कर फिर डेढ़ किमी पैदल पहाड़ पर चढ़ना था। ऊपर पहुंचते ही संगीत और छोटे-छोटे टेंट सभी का स्वागत कर रहे थे। पारंपरिक भोजन ने थकान मिटा दी। रात 2 बजे तक संगीत का दौर चलता रहा। सुबह 6 बजे फिर नदी पार कर पर्यटन मंडल के रेस्टोरेंट पहुंचे। यहां नाश्ता करवाकर सभी को विदा किया गया।

बस्तर में पर्यटन की अपार संभावनाएं
दरअसल, उत्तर भारत के कुछ राज्यों में मून लाइट कैंपिंग करवाई जाती है। पर्यटन मंडल के वरिष्ठ प्रबंधक एवं चित्रकोट जलप्रपात के प्रभारी कृष्ण कुमार केवट ने बताया कि जल्द ही स्टार गैजिंग भी शुरू करने जा रहे हैं, जिसकी तैयारी कर ली गई है। पर्यटन मंडल की PRO अनुराधा दुबे का कहना है कि बस्तर में पर्यटन की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। इसे योजना के तहत विकसित किया जा रहा है।

999 रुपए के पैकेज में एडवेंचर
मून लाइट कैंपिंग के लिए राज्य पर्यटन मंडल ने 999 रुपए का पैकेज बनाया है। पैकेज को 4 हिस्से में बांटा गया है।

टूरिस्ट बॉडिंग: पर्यटकों के ग्रुप की आपस में बॉडिंग करवाई जाती है, ताकि वे आपस में घुल-मिल सकें। इसके लिए कई तरह की एक्टिविटी होती है।
म्यूजिक: ट्राइबल डांस के जरिए पर्यटकों को छत्तीसगढ़ की परंपरा-संस्कृति से जोड़ा जाता है। स्थानीय आदिवासी पारंपरिक पोशाक पहनकर नृत्य करते हैं।
बोटिंग : रात 9 बजे नाव के जरिए जल प्रपात के नीचे तक ले जाया जाता है, जो अद्भुत है। नदी पार करवाई जाती है।
ट्रैकिंग एंड कैंपिंग : पहाड़ के रास्ते 1.5 किमी की चढ़ाई कर चोटी पर पहुंचते हैं। यहां पर खुले आसमान के नीचे टेंट लगे होते हैं। एक टेंट में 2 लोगों के रहने की व्यवस्था होती है। यहां लाइट, म्यूजिक और फूडिंग की व्यवस्था होती है। सब कुछ आदिवासी परंपरा पर आधारित है।

स्थानीय युवाओं को मिल रहा रोजगार
प्रभारी कृष्ण कुमार केवट ने बताया कि इस पूरी एक्टिविटी का अरेंजमेंट स्थानीय युवा करते हैं। नदी पार करवाकर नाइट कैंपिंग की व्यवस्था, खाना-पान तीरथा गांव के युवक-युवतियां ही संभालते हैं। खाना दोना-पत्तल में, जमीन में बैठाकर परोसा जाता है। यह पूरी तरह से परंपरागत है। कृष्ण कुमार बताते हैं कि इस पूरी कैंपिंग में 25 युवा शामिल हैं। इस आयोजन के लिए 24 घंटे पहले तक बुकिंग करवा सकते हैं। पर्यटन मंडल की वेबसाइट या सीधे फोन कर भी बुकिंग करवाई जा सकती है।

जीव-जंतुओं से बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव
जंगल और पत्थरों के बीच सांप-बिच्छु जैसे जीव-जंतु हो सकते हैं। इससे पर्यटकों को खतरा हो सकता है। इस वजह से आयोजन के दो दिन पहले से रास्ते में कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है। साथ ही पर्यटकों काे हिदायत दी जाती है कि वे जूता पहनकर ही ट्रैकिंग पर जाएं। युवाओं की टीम ट्रैकिंग के दौरान पर्यटकों के साथ रहती है। नाव से नदी पार करवाने के दौरान भी किसी भी तरह के हादसे की आशंका को देखते हुए अतिरिक्त नाव और गोताखोर तैयार रहते हैं।