छत्तीसगढ़ में बच्चे की मदद के लिए पिता बना भिखारी, DM से लेकर CM तक से लगा चुका है मदद की गुहार

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Chhattisgarh Durg Father Became Beggar: देश की सरकारें कुपोषित बच्चों (Malnourished Children) की देखभाल और रखरखाव के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या इस योजना का लाभ कुपोषित बच्चों को मिल पा रहा है. अगर नहीं मिल पा रहा है तो इसके पीछे क्या कारण हैं. क्या सरकारी दावे सिर्फ कागजों में ही किए जा रहे हैं. हम आपको ऐसे ही एक शख्स की आपबीती के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद आपकी आंखें नम हो जाएंगी. आखिर क्यों एक पिता (Father) 11 साल से अपने बच्चे (Child) को गोद में लेकर भटक रहा है, चाहे भीषण गर्मी हो, बरसात हो या फिर ठंड. ये पिता अपने बेटे को गोद में उठाकर जगह-जगह मदद की गुहार पिछले 11 सालों से लगा रहा है.

बच्चे को गोद मे लेकर मदद के लिए भटक रहा है पिता
हम बात कर रहे हैं धमधा क्षेत्र के रहने वाले चंद्र कुमार देशलहरे की. चंद्र कुमार पिछले 11 सालों से अपने 11 साल के कुपोषित बच्चे को गोद में लेकर जगह-जगह भटक रहा है. चंद्र कुमार के बच्चे का नाम राज है. राज बचपन से ही कुपोषित है. चंद्र कुमार ने अपने बच्चे की मदद के लिए कई नेता और सरकारी दफ्तरों में मदद की गुहार लगाई. लेकिन, उन्हें किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली.

पत्नी की हो गई मौत
चंद्र कुमार बताते हैं कि वो आज से 11 साल पहले रिक्शा चलाते थे और उस समय उनका परिवार खुशी-खुशी रह रहा था. लेकिन 11 साल पहले उनकी पत्नी का देहांत हो गया. चंद्र कुमार ने बताया कि जब उनका बेटे का जन्म हुआ तो उस समय डिलीवरी के समय उनकी पत्नी की मौत हो गई. हालांकि, उनका बेटा राज बच गया लेकिन वो बचपन से ही कुपोषण का शिकार हो गया.

भीख मांगने को मजबूर है पिता
मां के बिना बच्चे की देख रेख करने वाला कोई नहीं था. इस वजह से चंद्र कुमार ने रिक्शा चलाना छोड़ दिया और उसी समय से बच्चे को गोद में लेकर 11 साल से बच्चे की मदद के लिए नेता और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है. मदद ना मिलने की वजह से अपना जीवनयापन करने के लिए और बच्चे को दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए पिता अब भीख मांगने को मजबूर है.

देखभाल करने वाला कोई नहीं
चंद्र कुमार का कहना है कि बच्चे की देखभाल करने वाला घर पर कोई नहीं है, इस वजह से वो बच्चे को अकेले घर पर नहीं छोड़ सकता. यही कारण है कि वो गोद में लेकर बच्चे को घूमता है, ताकि बच्चे को खाना पीना समय पर खिला सकूं. चंद्र कुमार का कहना है कि बच्चे के इलाज के लिए लोगों से भीख मांग रहा हूं. सरकारी योजनाएं मिली ही नहीं और ना ही किसी नेताओं से कोई मदद मिली. लोग अपनी जरूरत के अनुसार मदद भी करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो ये कहते हैं कि बच्चे को जबरदस्ती ऐसे दिखाकर भीख मांग रहा है. कुछ लोगों के अच्छा सपोर्ट भी मिलता है तो कभी कुछ लोग बुरा भला भी कहते हैं. लेकिन क्या करूं एक पिता हूं, पिता होने के नाते बच्चे को अकेला नहीं छोड़ सकता. इस वजह से इसे गोद में लेकर सरकार से और प्रशासन से लगातार मदद की मांग कर रहा हूं. लेकिन, अब तक किसी तरह का मदद नहीं मिली.

सरकार से मदद की गुहार
चंद्र कुमार बताते हैं कि एक बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से दुर्ग में एक कार्यक्रम में मिलने की कोशिश भी की. लेकिन उन्हें सीएम के सुरक्षाकर्मियों ने मिलने नहीं दिया. हताश होकर वहां से चले गए. चंद्र कुमार का कहना है कि अगर सरकार मेरे बच्चे की देखभाल करने की कोई व्यवस्था कर दे या फिर मुझे कोई ई रिक्शा दिलवा दे तो मैं अपने बच्चे की देखभाल के साथ-साथ मेहनत करके अपना जीवनयापन कर सकता हूं.