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नई दिल्ली: 30 महीने से ज्यादा वक्त बीत गया लेकिन भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव आज भी बना हुआ है। पूर्वी लद्दाख के गलवान क्षेत्र में जो कुछ हुआ उसकी तपिश आज भी महसूस की जा सकती है। कड़ाके की सर्दी शुरू होने से पहले भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चीन से लगती सरहद पर मौजूदा हालात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में हालात स्थिर हैं लेकिन आगे का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। एक थिंक टैंक को संबोधित करते हुए जनरल पांडे ने स्पष्ट बताया कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने न तो बॉर्डर पर सैनिकों की संख्या घटाई है और न ही फौज की तेज आवाजाही और कनेक्टिविटी के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में कोई कटौती की है।
हमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी कार्रवाई का बहुत सावधानी से आकलन करने की जरूरत है ताकि हम अपने हितों की सुरक्षा कर पाएं… हम जानते हैं कि चीनी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
सेना प्रमुख, पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर
सुनी-सुनाई बातें नहीं, चीन के ऐक्शन पर नजर
आर्मी चीफ ने चीन के दोहरे रवैये और कुटिल चाल को लेकर आगाह भी किया। उन्होंने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि चीनी कहते क्या हैं और करते बिल्कुल अलग हैं। यह एक तरह का धोखा ही है। हमें लिखित बयानों या स्क्रिप्ट पर नहीं बल्कि उनके ऐक्शन पर फोकस करने की जरूरत है। तब हम गलत नहीं होंगे।’
आर्मी चीफ ने कहा कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है, लेकिन सर्दियों की शुरुआत के साथ कुछ पीएलए ब्रिगेड के लौटने के संकेत हैं। उन्होंने ‘चाणक्य डायलॉग्स’ में कहा कि व्यापक संदर्भ में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी कार्रवाई का बहुत सावधानी से आकलन करने की जरूरत है ताकि भारत अपने हितों की सुरक्षा कर पाए। जनरल पांडे ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘अगर मुझे इसे (हालात को) एक वाक्य में परिभाषित करना हो तो मैं कहूंगा कि हालात स्थिर, लेकिन अप्रत्याशित हैं।’ भारत शेष मुद्दों के समाधान के लिए चीन के साथ उच्च स्तर की सैन्य वार्ता के अगले दौर को लेकर आशान्वित भी है।
सेना प्रमुख ने कहा कि भारत और चीन के बीच अगले दौर की सैन्य वार्ता में विवाद के दो शेष बिंदुओं से जुड़े मुद्दों को हल करने पर ध्यान देना होगा। समझा जा रहा है कि उनका इशारा डेमचोक और देपसांग की ओर तरफ था। सेना प्रमुख ने कहा कि विवाद के सात बिंदुओं में से पांच को बातचीत के माध्यम से हल कर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम 17वें दौर की वार्ता की तारीख पर विचार कर रहे हैं।’
सीमावर्ती इलाकों में चीन के बुनियादी ढांचा विकसित करने के विषय पर थलसेना प्रमुख ने कहा कि यह लगातार हो रहा है। क्षेत्र में भारतीय थलसेना की तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा, ‘सर्दियों के मौसम के अनुकूल तैयारी जारी है।’ जनरल पांडे ने यह भी कहा कि अपने हितों की सुरक्षा के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हमारे कार्यों को बहुत सावधानीपूर्वक समायोजित करने की जरूरत है।
पिछले दो साल से अधिक समय से भारत और चीन दोनों देशों ने अपने करीब 50-50 हजार सैनिकों की तैनाती कर रखी है। दोनों तरफ से भारी संख्या में युद्धक हथियार और साजोसामान बॉर्डर पर पहुंचाए गए हैं। भारत ने ठंड के मौसम के लिए पहले से ही अपनी अलग तैयारी कर रखी है। भारत का संदेश साफ है कि वह हर परिस्थिति में चीन को माकूल जवाब देने के लिए तैयार है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि उन्हें भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है और उसे हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए और ऑपरेशन की तैयारी पीक लेवल की होनी चाहिए।