हिमाचल चुनाव में जयराम के मंत्रियों की बढ़ी चिंता, हर चुनाव में हारते हैं 70 फीसदी मंत्री!

Concern of Jairam's ministers increased in Himachal elections, 70 percent ministers lose in every election!
Concern of Jairam's ministers increased in Himachal elections, 70 percent ministers lose in every election!
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धर्मशाला. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के नतीजे घोषित होने में अब 10 दिन का वक्त बचा है. ऐसे में अब सियासी दलों के नेताओं की धुकधुकी बढ़ने लगी है. भाजपा जहां रिवाज बदलने का दावा कर रही है, वहीं, कांग्रेस का कहना है कि रिवाज नहीं, राज बदलेगा. खैर, यह तो 8 दिसंबर को तय होगा कि हिमाचल में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा. लेकिन जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नेताओं के लिए चिंतित होने वाली खबर है.

बीते कई चुनाव में 50 से 70 फीसदी मंत्रियों को सियासी दंगल में हार का सामना करना पड़ता है. 32 साल के इतिहास में यह आंकड़े नजर आते हैं. चुनाव हारने का ये ट्रेंड साल 1990 से चला आ रहा है. ऐसे में जयराम सरकार के ज्यादातर मंत्रियों की धड़कने तेज हैं. वजह भी जायजा है, क्योंकि दो मंत्रियों के हलके ही बदल दिए गए थे. भाजपा ने इस बार टिकट आवंटन में मंत्री सुरेश भारद्वाज और मंत्री राकेश पठानिया का विधानसभा हलका बदला है. सुरेश भारद्वाज को शिमला शहरी की जगह कसुम्पटी से उतारा गया है. उनका सामना कांग्रेस के अनिरूध से है, जो तीन बार से यहां से जीत रहे हैं. वहीं, पठानिया को फतेहपुर विधानसभा सीट से उतारा गया है, जो कि बीते एक दशक से कांग्रेस के कब्जे में है. दोनों को जीत का संकट है. जयराम के मंत्रियों को कांटे की टक्कर का सामना करना पड़ेगा.

2017 में 11 में से आठ मंत्री हार गए थे
वर्ष 2012 से 2017 तक हिमाचल में कांग्रेस की सरकार रही थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, प्रकाश चौधरी, धनीराम शांडिल, अनिल शर्मा, कर्ण सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, सुजान सिंह पठानिया, सुधीर शर्मा और ठाकुर सिंह भरमौरी मंत्री थे. लेकिन इन सभी में से महज तीन मंत्री ही अपनी सीट बचा पाए थे, इनमें सोलन से धनीराम शांडिल, ऊना के हरोली से मुकेश अग्निहोत्री और फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया शामिल थे. वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, प्रकाश चौधरी, सुधीर शर्मा और ठाकुर सिंह भरमौरी को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि विद्या स्टोक्स नामांकन रद्द हो गया. इसके अलावा, अनिल शर्मा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे और बाद में चुनाव जीते थे. वहीं, कुल्लू से कैबिनेट मंत्री रहे कर्ण सिंह का निधन हो गया था.

2007 में धूमल के 4 मंत्री भी हारे थे चुनाव
हिमाचल में वर्ष 2007 से 2012 तक भाजपा की सरकार थी और प्रेम कुमार धूमल सीएम थे. धूमल सरकार में जेपी नड्डा, नरेंद्र बरागटा, महेंद्र सिंह ठाकुर, सरवीण चौधरी, गुलाब सिंह ठाकुर, राजीव बिंदल, आईडी धीमान, किशन कपूर, रविंद्र रवि, खीमीराम, रमेश धवाला कैबिनेट मंत्री रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 4 मंत्री नरेंद्र बरागटा, किशन कपूर, खीमीराम और रमेश धवाला हार गए, जबकि जेपी नड्डा केंद्रीय राजनीति में चले गए और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था.

कांग्रेस के ये मंत्री भी ये नहीं पहुंचे विधानसभा
वर्ष 2003 से 2007 तक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अगुवाई में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. वीरभद्र सिंह के साथ विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर, कुलदीप कुमार, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, चंद्र कुमार, सिंघी राम, प्रकाश चौधरी, अनिल शर्मा और सत महाजन मंत्री थे. 2007 के विधानसभा चुनाव हुए तो कुलदीप, रामलाल ठाकुर, चंद्र कुमार, सिंघी राम, प्रकाश चौधरी और सत महाजन को हार का सामना करना पड़ा था. इसी तरह वर्ष 1998 से 2003 तक हिमाचल में भाजपा और हिविकां की गठबंधन सरकार बनी. तब प्रेम कुमार धूमल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उनकी कैबिनेट में मोहन लाल, रामलाल मारकंडा, आईडी धीमान, नरेंद्र बरागटा, महेंद्र सिंह ठाकुर, प्रकाश चौधरी, रूप सिंह, मनसा राम, विद्या सागर चौधरी, राजन सुशांत, प्रवीण शर्मा और आरडी कश्यप शामिल थे. साल 2003 में चुनाव रामलाल मारकंडा, नरेंद्र बरागटा, रूप सिंह, मनसा राम, प्रवीण शर्मा, विद्या सागर चौधरी को हार नसीब हुई थी.

इस बार किसकी हवा टाइट है
इस बार भी जयराम कैबिनेट में रहे कई मंत्रियों की हालत पतली बनी हुई है. कैबिनेट में सीएम के बाद नंबर- टू कहे जाने वाले महेंद्र सिंह ठाकुर चुनाव नहीं लड़ रहे. BJP ने उनकी जगह धर्मपुर सीट से उनके बेटे रजत ठाकुर को कैंडिडेट बनाया है. दो मंत्री सुरेश भारद्वाज और राकेश पठानिया भी सीट बदलने की वजह से बैकफुट में हैं. मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. राजीव सैजल 2017 में कसौली सीट पर बहुत कम मार्जिन से जीते थे. इस बार वह कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी से कांटे की टक्कर का सामना कर रहे हैं. पांवटा साहिब सीट पर ऊर्जा मंत्री रहे सुखराम चौधरी और कांग्रेस के किरनेश जंग में रोचक मुकाबला है. यहां आम आदमी पार्टी के मनीष ठाकुर ने मुकाबले को रोचक बना दिया. कांगड़ा जिले में जसवा-परागपुर सीट पर उद्योग मंत्री विक्रम सिंह और कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह मनकोटिया में कांटे की टक्कर है. कुटलेहड़ सीट पर पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर और कांग्रेस के देवेंद्र कुमार भुट्टो में कड़ा मुकाबला है.

सीट बचाने की चुनौती
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर की मनाली सीट पर राह मुश्किल है. उन्हें कांग्रेस के भुवनेश्वर गौड़ से कड़ी चुनौती मिल रही है. शाहपुर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी और कांग्रेस के केवल सिंह पठानिया में मुकाबला है. तकनीकी शिक्षामंत्री राम लाल मारकंडा को लाहौल स्पीति सीट पर रवि ठाकुर और खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग को घुमारवीं सीट पर कांग्रेस के राजेश धर्माणी से कड़ी चुनौती मिल रही है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 68 सीटें हैं और इस लिहाज से यहां CM समेत 12 मंत्रियों को कैबिनेट में जगह मिलती है