कोरोना बढ़ा रहा है टेंशन: नए मामलों की रफ्तार धीमी…पर बच्चों के लिए खतरनाक

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नई दिल्ली: कोरोना के कहर के बीच राहत देने वाली खबर यह है कि अब कोरोना वायरस के मामलों में धीरे-धीरे कमी आ रही है। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक 7 मई को कोरोना के सबसे ज्यादा केस आए थे। वह कोरोना का पीक था। उस पीक से अब केस में 27 प्रतिशत की कमी आई है। एक तरफ एक्टिव केस की संख्या में कमी आ रही है, वहीं रिकवरी ज्यादा हो रही है। हालांकि कोरोना की तीसरी लहर में कोरोना के सिंगापुर वेरिएंट के एक्टिव होने की संभावनाओं ने केंद्र सरकार की टेंशन बढ़ा रखी है। इस वेरिएंट पर काबू पाने के लिए सरकार ने विशेषज्ञों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। कोरोना का यह वेरिएंट बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है।

आठ राज्यों में 10 हजार से कम केस
हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा कि अभी ऐसे आठ राज्य हैं जहां हर रोज 10 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। पिछले दो दिनों में नए केस 3 लाख से कम हो गए हैं। ज्यादा एक्टिव केस अब 8 राज्यों में ही सीमित हैं, इसलिए इन राज्यों में फोकस बढ़ाने की जरूरत है। 11 मई से एक और अच्छा ट्रेंड दिखा, जितने केस आ रहे हैं उससे ज्यादा रिकवरी हो रही है।

जाने राज्यों में क्या हैं हालात
हेल्थ मिनिस्ट्री के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने कहा कि हमने संक्रमण को काफी हद तक रोका है। देश की करीब 2 पर्सेंट आबादी ही कोविड-19 से संक्रमित हुई है। जिन राज्यों में 1 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं उनकी संख्या भी कम हुई है। अब 8 राज्यों में ही 1 लाख से अधिक एक्टिव केस हैं। गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश अब इस लिस्ट से बाहर आ गया है। यहां एक्टिव केस की संख्या कम हुई है।
कोरोना की तीसरी लहर क्‍यों बच्‍चों को करेगी प्रभावित, तैयारी करने के लिए कितना है वक्‍त?
दिल्ली में एक्टिव केस की संख्या 50 हजार से कम है। एक वक्त में जहां ज्यादा एक्टिव केस आ रहे थे उन राज्यों में केस घटने का ट्रेड दिखाई दिया है। इनमें महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, यूपी, गुजरात, छत्तीसगढ़ शामिल हैं। हालांकि नॉर्थ ईस्ट में मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, सिक्किम में केस बढ़ रहे हैं जो चिंता की बात है। अभी भी 22 राज्यों में 15 पर्सेंट से अधिक पॉजिटिविटी रेट है।

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सिंगापुर वेरियंट पर चल रहा है विचार-विमर्श
वायरस के सिंगापुर वेरियंट के सवाल पर नीति आयोग सदस्य (हेल्थ) डॉ. वी.के.पॉल ने कहा कि हम यह देख रहे हैं कि किस वेरियंट की बात हो रही है। ऑथेंटिक जानकारी लेकर इस पर जवाब दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सर्वे से यह साफ हुआ है कि बच्चों में भी कोविड-19 का संक्रमण होता है। हालांकि उम्र कम होने पर यह एसिमटोमेटिक होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है संक्रमण के लक्षण दिखते हैं। यंग ऐज में ज्यादातर एसिमटोमेटिक ही होता है। लेकिन बच्चों में संक्रमण हो सकता है साथ ही वह इसे फैला भी सकते हैं। इसके कम चांस हैं कि बच्चों में यह संक्रमण गंभीर हो।

उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन को बच्चों में ट्रायल की परमिशन दी गई है और अगले 10-12 दिनों में इस पर काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ की कोविड रोधी दवा को ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल करने या न करने का फैसला नैशनल टास्क फोर्स के परीक्षण के बाद लिया जाएगा।