नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu) ने शुक्रवार को सदन में स्पष्ट किया कि सांसदों को सत्र के दौरान या अन्यथा किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार किए जाने से कोई छूट नहीं है। संसद सदस्य यानी सांसद आम नागरिक से अलग नहीं हैं। एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने कहा कि इसका मतलब है कि संसद सदस्य को सत्र के दौरान या अन्यथा किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने से कोई छूट नहीं है।
एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) की टिप्पणी सदन के कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सदन में यह मुद्दा उठाए जाने के एक दिन बाद आई है कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने सत्र के दौरान तलब किया था। मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से उठाई गई बात पर नायडू ने कहा कि मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि सदस्यों के बीच एक गलत धारणा है कि उन्हें सत्र के दौरान एजेंसियों द्वारा कार्रवाई नहीं करने का विशेषाधिकार है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है।
एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने कहा कि मैंने इस मसले पर गंभीरता से विचार किया है। मैंने सभी उदाहरणों को देखा। मुझे अपना खुद का फैसला याद है जो पहले दिया गया था। संविधान के अनुच्छेद-105 के तहत, संसद सदस्य कुछ विशेषाधिकारों का लाभ लेते हैं। विशेषाधिकारों में यह है कि संसद के सदस्य को सत्र या समिति की बैठक शुरू होने से 40 दिन पहले और उसके 40 दिन बाद सिविल मामले के शुरू होने से 40 दिन पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने संसदीय कर्तव्यों का पालन कर सकें।
नायडू ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत, संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं ताकि वे बिना किसी बाधा या बाधा के अपने संसदीय कर्तव्यों का पालन कर सकें। ये विशेषाधिकार पहले से ही नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 135ए के तहत शामिल हैं। नायडू ने आगे कहा कि कानून निर्माता के तौर पर कानून और कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करना हमारा बाध्य कर्तव्य है। यह सभी मामलों में सभी पर लागू होता है। आप केवल यह सूचित कर सकते हैं कि सदन सत्र में व्यस्त हैं।