उत्तराखंड के इस जिले में करोड़ों रुपए से होगा तैयार, देश का पहला पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन सेंटर, आप भी जाने खासियत

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देहरादून। विदेश से मंगाए जाने वाले फल प्रजातियों के पौधे अब उत्तराखंड में क्वांरटाइन होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार की मदद से टिहरी जिले के मगरा में सौ करोड़ की लागत का देश का पहला ‘पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन सेंटर’ बनाया जा रहा है। यहां उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए मंगाए जाने वाले शीतोष्ण जलवायु के पौधे सालभर तक क्वारंटाइन किए जाएंगे। किसी भी प्रकार के रोग, कीट आदि का प्रकोप न होने की पुष्टि के बाद ही इन्हें राज्यों को भेजा जाएगा।

देश में शीतोष्ण जलवायु वाले राज्यों में विदेश से काफी संख्या में फल पौध मंगाई जाती है। रोपण से पहले यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होता है कि संबंधित पौध रोग व कीट प्रकोप से मुक्त है। हालांकि, आयातित पौधों को अलग-थलग (क्वारंटाइन) कर उनकी निगरानी को पुख्ता व्यवस्था न होने से इस नियम का पालन नहीं पा रहा है। परिणामस्वरूप, आयातित पौधों से अधिक फलोत्पादन और बेहतर क्वालिटी की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है।

उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य में आयातित पौधों के लिए पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन सेंटर बनाने का खाका खींचा। इसके लिए मगरा स्थित उद्यान विभाग के राजकीय पौधालय का चयन हुआ और फिर केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया, जिसे मंजूरी भी मिल गई। निदेशक उद्यान डा. एचएस बावेजा के अनुसार राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, राष्ट्रीय बीज निगम और उद्यान विभाग उत्तराखंड मिलकर यह सेंटर स्थापित करने जा रहे हैं।

डा. बावेजा ने बताया कि पौधे आयात करने के लिए वैश्विक निविदा हो चुकी हैं। विदेश से शीतोष्ण जलवायु वाले फलों की ऐसी प्रजातियां मंगाई जाएंगी, जो भारत में नहीं हैं। पहले चरण में अमेरिका और यूरोप से उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के लिए सेब और अखरोट की 10 लाख पौध मंगाई जा रही है।

कृषि एवं कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि औद्यानिकी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार गंभीरता से कदम बढ़ा रही है। आयातित पौधों के लिए मगरा में पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन सेंटर भी इसी कड़ी का हिस्सा है, जो कि देश का पहला ऐसा सेंटर होगा। इसमें विदेश से मंगाए गए पौधों से नई पौध तैयार कर किसानों को वितरित की जाएगी।